देश में बनेंगे 50 नए मेडिकल कॉलेज, 1 लाख से ज्यादा होंगी MBBS की सीटें

देश में आने वाले समय में मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोतरी होने जा रही है. केंद्र सरकार ने इस साल 50 नए मेडिकल कॉलेज, जिनमें 30 सरकारी और 20 प्राइवेट कॉलेज खोलने की मंजूरी दी है.

News Jungal Desk: देश में आने वाले समय में मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीटों में तेजी से बढ़ोतरी होने वाली है. केंद्र सरकार ने इस साल 50 नए मेडिकल कॉलेज, जिनमें 30 सरकारी और 20 प्राइवेट कॉलेज खोलने की मंजूरी प्रदान कर दी है. साथ ही मौजूदा कॉलेजों में करीब 2000 सीटों को जोड़ने का फैसला किया है, जिससे अब देश में एमबीबीएस सीटों की संख्या 1 लाख के पार हो जाएगी.  नए स्वीकृत मेडिकल कॉलेज अलग-अलग राज्यों में बनेंगे.

एक निजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना में 13 नए मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में 5-5 कॉलेज बनाए जाएंगे. इसके अलावा महाराष्ट्र के लिए 4 और असम, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए 3-3 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर के लिए दो-दो कॉलेज जबकि यूपी, मध्य प्रदेश और नागालैंड के लिए एक-एक कॉलेज को मंजूरी दी गई है.

आपको बता दें कि इन कॉलेज के खुलने से देश में मेडिकल के यूजी कोर्स में दाखिले के लिए सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाएगी. भारत में मेडिकल सीट 1 लाख 7 हजार 658 हो जाएगी. 8195 सीटों की बढ़ोतरी हो जाएगी. वर्तमान में भारत में कुल 702 मेडिकल कॉलेज हैं. बता दें कि एनएमसी ने इस साल 40 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दिया है. नेशनल मेडिकल कमीशन का यूजी बोर्ड 5 साल के लिए मेडिकल कॉलेज को मान्यता देता रहा है.

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ये कॉलेज देश में 6,200 एमबीबीएस सीटें जोड़ेंगे. जबकि कुछ कॉलेजों को सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई है. कुल मिलाकर देश में एमबीबीएस की सीटों में वास्तविक वृद्धि 8,195 होगी. एक अधिकारी ने कहा, “इसके साथ, भारत में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या 702 हो गई है और एमबीबीएस सीटों की संख्या 1,07,658 हो गई है.” इसके अलावा अन्य अधिकारी ने कहा, “सरकार देश में डॉक्टरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एमबीबीएस सीटें बढ़ाने के लिए सुचारू एवं सक्रिय रूप से काम कर रही है. साथ ही, इससे यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि चिकित्सा शिक्षा के इच्छुक बच्चों को विदेश में नहीं जाना पड़ेगा.’

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