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ध्यान से बड़ा कोई योग नहीं : डीडीईसी इंटरनेशनल स्कूल में श्री रामचंद्र मिशन, हार्टफुलनेस संस्थान के तत्वावधान में ध्यान पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित…

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नियमित ध्यान बहुत सहायक है : डॉ. सुरेंद्र सिंह

अच्छे ध्यान के लिए मन और शरीर को शांत होना जरूरी है : डॉ. शाहजी अरोड़ा

News jungal desk: घाटमपुर (कानपुर). मैं यह गारंटी से कह सकता हूं कि ध्यान से कोई कीमती चीज नहीं है. मैं इतना सौभाग्यशाली हूं कि सालों से ध्यान का अभ्यास करता आ रहा हूं. मन और शरीर को शांत करने के लिए ध्यान से बड़ा कोई योग नहीं हो सकता है. मैं तो कहूंगा कि इससे बड़ा कोई नशा नहीं है. आप सब अनुभव करके देखिए. इसके आगे डायमंड, गोल्ड ये सब फीके हैं. सुबह दस मिनट ध्यान से शुरुआत करें. आप देखेंगे कि 24 घंटे के चक्र में 10 नहीं, जाने कितने 10 मिनट आपके बेचेंगे. क्योंकि, ध्यान से कार्य के प्रति बहुत जल्दी आप फोकस करने में सफल हो जाते हैं. रिलैक्स भाव से बहुत बड़ी सम्पत्ति (हार्टफुलनेस की पद्धतियों शिथिलीकरण, ध्यान, अंत:करण से अनुपयोगी विचारों की सफाई और अपने उच्च स्व: से जुड़ने के लिए प्रार्थना) को ग्रहण करियेगा.

आप (शिक्षक और शिक्षिकायें) लेट नहीं हुए हैं, गारंटी से फर्स्ट हैं. ये आह्वान दयानंद दीनानाथ ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के निदेशक योगेश कुमार सचान ने शिक्षक और शिक्षिकाओं से किया. वे 28 सितंबर से डीडीईसी इंटरनेशनल स्कूल में श्री रामचंद्र मिशन, हार्टफुलनेस संस्थान के तत्वावधान में ध्यान पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे. पहले दिन शिथिलीकरण और ह्रदय आधारित ध्यान करने का तरीका और लाभ के बारे में बताया गया. डेंटल सर्जन डॉ. शाहजी अरोड़ा ने बताया कि ध्यान एक निष्क्रिय क्रिया है. हार्टफुलनेस पद्धति से ध्यान सीखना बहुत आसान है. बस आपको एक विचार लेना होता है कि दिव्य प्रकाश का स्रोत आपके हृदय में पहले से मौजूद है. ध्यान के दौरान एक के बाद एक विचार आएंगे, बस हमें उनमें उलझना नहीं है और रोकने का प्रयास करना है. बिन बुलाए महमान की तरह ध्यान के दौरान आने वाले विचारों के साथ व्यवहार करना है. कुछ देर के बाद आप अनुभव करेंगे कि विचार आना बंद हो गए. उन्होंने बताया कि अच्छे ध्यान के लिए मन और शरीर को शांत होना जरूरी है. ध्यान से पहले शिथिलीकरण जरूरी है. आपने मन और शरीर को शांत करने का यह एक वैज्ञानिक तरीका है. इसको करने के बाद आप ध्यान की गहराइयों में उतरने की अनुभूति करेंगे.
रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि हार्टफुलनेस ध्यान हमारे मस्तिष्क को संवर्धित करता है. तनाव को कम कर ब्रेन को विषय वस्तु पर केंद्रित करने में मदद मिलती है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नियमित ध्यान बहुत सहायक है. कार्य को कल पर टालने के बजाय ध्यान का अभ्यास आपका तुरंत मूड बना देता है. आत्मकेंद्रित, संतुलन और अंदर-बाहर खुद से जुड़ाव की दशा को प्रदान करने के साथ साथ ध्यान का अभ्यास ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.
हमारे ह्रदय को स्वस्थ रखता है. बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने (एंटी एजिंग) में भी नियमित ध्यान हमें लाभ देता है.
दूसरे दिन भावनात्मक बोझ, किसी विचार-संवाद और पसंद-नापसंद से मन पर पड़ी छापों को हटाकर खुद को संतुलन की अवस्था में लाने की सफाई तकनीक के बारे में बताया गया. अपने उच्च स्व: जुड़े रहने के लिए हार्टफुलनेस प्रार्थना के महत्व को बताया गया. कार्यशाला के संयोजक ध्यान प्रशिक्षक संजीव सचान ने बताया कि श्री रामचंद्र मिशन, हार्टफुलनेस संस्था एक वैश्विक लाभ निरपेक्ष संस्थान है. वर्ष 1947 में स्थापना के बाद से संस्थान वैश्विक भाईचारे और सामंजस्य (भौतिक और आध्यात्मिक) के लिए ध्यान के माध्यम से हृदय आधारित जीवन जीने के लिए प्रेरित करता आ रहा है. संस्था के स्वयंसेवक सरकारी-गैरसरकारी प्रतिष्ठानों, स्कूल-कॉलेजों और गांवों में आयोजित कराए जा रहे कनेक्ट कार्यकमों
के माध्यम से नि: शुल्क ध्यान का प्रशिक्षण दे रहे हैं. प्रिंसिपल नीलम द्विवेदी ने सप्ताह में एक दिन हर क्लास में हार्टफुलनेस एक्टिविटी कराने का निर्णय लिया. ध्यान को अपने जीवन में शामिल करने का आह्वान किया.
हार्टफुलनेस ध्यान प्रशिक्षक एवं टीचर रश्मि सचान ने धन्यवाद दिया. कार्यशाला में 67 शिक्षक और शिक्षिकाओं ने भाग लिया.

अंतर्राष्ट्रीय निबंध कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे छात्र छात्राएं

हार्टफुलनेस निबंध कार्यक्रम तीन दसकों से श्री रामचंद्र मिशन का प्रमुख कार्यक्रम रहा है. वर्ष 2005 से संयुक्त राष्ट्र जनसूचना केंद्र (भारत एवं भूटान) और वर्ष 2024 में राष्ट्र मंडल (द कॉमन वेल्थ) के साथ आयोजित हो रहा है. निबंध कार्यक्रम दो श्रेणियों में (14 से 18 वर्ष ; शब्द 500) और (19 से 25 वर्ष ; शब्द 750) होनी है. प्रथम श्रेणी के लिए निबंध का विषय हेनरी फोर्ड का प्रेरणादायक कोड ‘जब हर चीज आपके विरुद्ध जाती हुई लगे तब याद रखें कि विमान हवा के विरुद्ध उड़ान भरता है, उसी दिशा में नहीं’ है.
दूसरी श्रेणी में निबंध का विषय है ‘अपनी नई वास्तविकता को स्वीकार करना ही दृढ़ता है, भले ही वह आपकी पुरानी वास्तविकता से कम अच्छी हो’ रखा गया है. हिंदी और अंग्रेजी समेत 12 भाषाओं में आयोजित हो रही है . इस निःशुल्क निबंध कार्यक्रम की जानकारी लिंक (hfn.link/essayevent) उपलब्ध है. कार्यशाला के दौरान निबंध कार्यक्रम के पोस्टर का अनावरित किया गया.

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