कानपुर में स्थित शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान में नव नियुक्त प्रवक्ताओं के लिए आधार भूत प्रशिक्षण कार्यक्रम को आयोजित किया गया. जिसमें 43 प्रवक्ताओं ने हार्टफुलनेस रिलैक्शेसन, ध्यान, अंत:करण की सफाई और उच्च स्व: से जुड़ने के लिए प्रार्थना की विधि को जाना.
News Jungal Desk: आज की भागमभाग एवं तनावपूर्ण जिंदगी में निरोग और शांत-खुशहाल जीवन के लिए नित्य योग की जरूरत है. योग का तात्पर्य मात्र शारीरिक कसाव या श्वसन क्रिया को स्वास्थ्य रखने के अभ्यास से नहीं है, बल्कि अभ्यास से मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक अवस्थाओं को भी सुसंगत अवस्था में लाना है. हार्टफुलनेस की रिलैक्शेसन और ध्यान की विधि तनाव से छुटकारा दिलाने में सहायक है. यह जानकारी हार्टफुलनेस के ध्यान प्रशिक्षक ब्रह्म प्रकाश ने विकास नगर कल्याणपुर स्थित शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान में नवनियुक्त प्रवक्ताओं के लिए आयोजित आधार भूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी.
कार्यशाला के पहले दिन प्रशिक्षक ने ध्यान कैसे करना है?, क्यों करना है?, कब और कहां करना है? के बारे में बताया. मन और शरीर को शांत करने के लिए प्रवक्ताओं को रिलैक्शेसन और ध्यान का अनुभव भी कराया गया. दूसरे दिन हार्टफुलनेस की सफाई विधि से परेशान करने वाले विचारों और छापों को अंत:करण से हटाने की विधि को बताया, हर नया विचार अवचेतन मन की उपजाऊ जमीन में बीज है. इस पर मनन से ह्रदय छापों के आवरण से घिर जाता है. इन छापों का परिणाम भावनात्मक प्रक्रिया के रूप में सामने आता है. फलस्वरूप ह्रदय में भारीपन व्याप्त हो जाता है. इन छापों को हटाने के लिए हार्टफुलनेस क्लीनिंग एक बेहतर और असरदार तरीका है. कुछ ही देर में ये आपको तरोताज़ा कर देगी. इस दौरान सभी ने क्लीनिंग विधि का अनुभव भी किया. तीसरे दिन ह्रदय में उपस्थित आध्यात्मिक स्रोत (परमतत्त्व) से जुड़ने के लिए हार्टफुलनेस प्रार्थना के महत्व को समझाया. साथ ही प्रार्थना के साथ ध्यान कराया. संस्थान के उपनिदेशक एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आत्म प्रकाश सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में समाज की शिक्षकों से बहुत अपेक्षाएं हैं. कार्य में कुशलता और तनावमुक्त शिक्षण के लिए प्रशिक्षक ब्रह्म प्रकाश ने तीन दिन हार्टफुलनेस ध्यान, अंत:करण की सफाई और उच्च स्व: से जुड़ने के लिए प्रार्थना पर व्याख्यान दिया. इन विधियों का अनुभव करने से हम सब के अंदर ध्यान और योग के प्रति जरूर जागरूकता बढ़ी है. इन सभी के नियमित अभ्यास से लाभ शिक्षकों और छात्र को भी अवश्य मिलेगा. कार्यशाला में करीब 43 प्रवक्ताओं ने भाग लिया. सबको प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए.
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