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कानपुर से अजय कपूर लगभग तय

ये है अखिलेश का प्लान बी
-गैर ब्राह्मण आया तो अमिताभ संभव
-आलोक के लिये अखिलेश को मनाएगी कांग्रेस

कानपुर। सूत्रों से खबर है कि कानपुर से सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी अजय कपूर हो सकते हैं। रविवार को पटना रैली के बाद उनके नाम पर मुहर लग सकती है। अजय पटना में हैं। उनकी मुलाकात राहुल गांधी और अखिलेश यादव से वहां होनी है। सूत्र बताते हैं कि कानपुर से अजय के नाम पर सहमति बन चुकी है। घोषणा शेष है। रविवार को महागठबंधन की पटना (बिहार) में होने वाली रैली के बाद कांग्रेस प्रत्याशी घोषित कर सकती है। ऐसे में अजय कपूर का नाम पर अंतिम राय बन सकती है। रैली में राहुल गांधी और अखिलेश यादव भी होंगे। अजय कपूर शनिवार को पटना रवाना हो चुके थे। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव होने के नाते वह अजय बिहार प्रभारी भी हैं। अजय अखिलेश यादव और राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखेंगे।
दूसरी तरफ कानपुर के टिकट घोषित न करने के पीछे भाजपा खेमे में प्रत्याशी बदलने की चर्चा है। ऐसे में कानपुर सीट से सतीश महाना का नाम पर राजनीतिक क्षेत्र में अटकलों का बाजार गरम है। अभी तक कानपुर से भाजपा से ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने को लेकर मंथन चल रहा था। यह भी संभव ही कि कोई कद्दावर ब्राह्मण भाजपा नेता आ जाये। पचौरी के अलावा, सुरेंद्र मैथानी, ब्रजेश पाठक, दिनेश शर्मा, रमेश अवस्थी और वैश्यों में सलिल विश्नोई का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था। पर प्रत्याशिता की कसौटी में परख के बाद कानपुर से भाजपा से नया चेहरा उतारने की चर्चा है।
दूसरी तरफ सपा के उच्चपदस्थ सूत्र ने बताया कि यदि भाजपा ने किसी गैर ब्राह्मण को चुनाव मैदान में उतारा तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद हस्तक्षेप करके यहां से किसी कद्दावर ब्राह्मण को कांग्रेस की टिकट पर उतार सकते हैं। ऐसा प्रयोग वह पहले भी गठजोड़ करके चुनाव में कर चुके हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के गैरब्राह्मण प्रत्याशी आने की सूरत मेंआर्यनगर विधायक अमिताभ वाजपेयी को ब्राह्मण चेहरा के रूप में कांग्रेस की टिकट से भी उतारा जा सकता है। दूसरी तरफ बताया जाता है कि कांग्रेस ने भी प्लान बी तैयार किया है जिसके तहत गैर ब्राह्मण प्रत्याशी के मुकाबले आलोक मिश्रा पर ही पार्टी दांव लगा सकती है। और गैर ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस, सपा और भाजपा में एक ही नाम की चर्चा है वह हैं सतीश महाना। हालांकि एक खेमा यह भी कहता है कि यदि महाना को ही लोकसभा चुनाव लड़ाना था उन्हें अकबरपुर से उतारा जा सकता था जहां पर ‍उनकी भारी मतों से जीत सुनिश्चित थी। महाराजपुर से वह खुद 80 हजार से जीते थे।

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