Akhilesh Yadav और Keshav Maurya भी इस मसले पर साथ आए हमलावर रहने वाले दोनों नेता…

केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव दोनों ही नेता एक-दूसरे पर राजनीतिक हमला करने से कभी नहीं चूकते हैं। हालांकि ओबीसी समाज के इन दोनों नेताओं ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर एकदूसरे से सहमति जताई है।

News Jungal political desk: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तरफ से राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर निशाना साधे जाने के तौर-तरीकों में पिछले एक साल के दौरान एक अहम बदलाव देखने को मिला। अखिलेश यादव के रडार पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) रहे। लुभाने की कोशिश से लेकर तल्ख अंदाज का दौर भी देखने को मिला। अखिलेश और केशव दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर वार-पलटवार होते रहते हैं। हालांकि एक मुद्दे पर दोनों नेताओं के सुर एक ही हैं और वह मुद्दा है- जातीय जनगणना का।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता पक्ष के नंबर-दो के चेहरे केशव प्रसाद मौर्य और विपक्ष के नंबर-एक चेहरे अखिलेश यादव हैं। दोनों ही नेता ओबीसी समाज से संबंध रखते हैं। पिछले साल मई में सदन के भीतर दोनों नेताओं में तल्खी दिखी थी। लगातार बयानबाजी भी होती है लेकिन जातिगत आधार पर जनगणना को लेकर दोनों ही नेता समर्थन में हैं। अखिलेश यादव अब लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं, वहीं केशव ने भी कहा कि वे इसके पक्ष में हैं।

अखिलेश यादव लगातार जातीय जनगणना कराने की अपनी मांग को दोहराते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि जातीय जनगणना नहीं हो सकती तो सरकार से वे हट जाएं। समाजवादी लोग तीन महीने में अगर जातीय जनगणना करा देंगे। उन्होंने कहा कि बहुत से पिछड़े, दलित, आदिवासी, जिन्हें संविधान से जो अधिकार मिले, इस सरकार ने वंचित रखा है। सरकार को बताना चाहिए कि खासकर यूपी के जो वाइस चांसलर बने हैं, उनमें से कितने दलित और पिछड़े हैं।

अखिलेश के इस बयान के बाद जातीय जनगणना को लेकर केशव प्रसाद मौर्य से सवाल पूछा गया। केशव पसाद मौर्य का रुख अलग देखने को मिला। मौर्य ने साफ किया कि वे इसके पक्ष में हैं। हालांकि उन्होंने अखिलेश यादव के ‘शूद्र’ वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि जैसे दूध में नींबू डालकर उसे फाड़ने का काम किया जाता है, वैसे ही सपा वाले समाज को तेजी से बांटने का काम कर रहे हैं लेकिन ये साजिश सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मैं अपने को हिंदू मानता हूं और गर्व से कहता हूं कि मैं हिंदू हूं।

हालांकि केशव प्रसाद मौर्य लगातार अखिलेश पर हमलावर हैं। रामचरितमानस प्रकरण पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी के पीछे अखिलेश यादव का हाथ है। उनके दोनों हाथ में लड्डू है, लेकिन लड्डू के धोखे में वे अंगारा पकड़े हुए हैं। यह समय उनको बताएगा। पद्म विभूषण पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी को लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को उनकी जनसेवा के कारण ही सम्मान दिया गया है। यही सम्मान पूर्व में उत्तर प्रदेश के राम भक्त पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी दिया गया था, जो लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, भगवान उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करे।

अखिलेश यादव लखनऊ में मां पीतांबरा को 108 महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें काला झंडा दिखाया गया था। अखिलेश यादव मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। सपा प्रमुख ने इस पूरे मामले को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जोड़ा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के श्रीरामचरितमानस के विरोध के बाद से ही उनका विरोध हो रहा है। इस पर डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कुर्सी के लिए सपा अध्यक्ष और उनकी पार्टी के लोग बहुत तड़प रहे हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश की मुलाकात पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव के पास मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं है इसीलिए, वे मछली की तरह तड़प रहे हैं। लेकिन, उन्हें यह कुर्सी बिल्कुल मिलने वाली नहीं है। जनता ने उन्हें कुर्सी से उतार दिया है। सनातन पर उठाए जा रहे सवालों पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य जो बोल रहे हैं, वह नहीं बोल रहे, यह अखिलेश यादव ही बोल रहे हैं। वे उनसे इस प्रकार की बात कहलवा रहे हैं और यह उनकी मानसिकता बोल रही है।

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