कांग्रेस से अखिलेश की मौजूदा चिढ़ के पीछे 2017 का यह सबक है, जहां सपा नेता में कांग्रेस के ‘बड़े भाई’ वाले रवैये के लिए थोड़ी सहनशीलता विकसित हुई थी. मगर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि सपा में कुछ लोग इस संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस के साथ नहीं बनी तो 2024 में अखिलेश यादव अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार उतारेंगे
News jungal desk : यह 2017 की सर्दी थी और नेता जी, दिवंगत मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन करने की बड़ी गलती न करने की सलाह दी थी । और उन्होंने अपने बेटे से कहा था कि ‘इससे हमें मदद नहीं मिलेगी । और इसके बावजूद अखिलेश गठबंधन के साथ आगे बढ़े और आश्चर्यजनक रूप से राज्य की 400 में से 100 से अधिक सीटें कांग्रेस को दे दीं. इसका नतीजा विनाशकारी साबित हुआ था, जैसा कि उनके पिता को डर था. कांग्रेस ने केवल 7 सीटें जीतीं और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) भी ढह गई.
जिससे नरेंद्र मोदी लहर पर सवार भाजपा (BJP) को ऐतिहासिक जीत मिली. सपा के एक बड़े नेता ने बताया कि ‘अखिलेश ने तब सबक सीखा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एसपी को कमजोर कर देती है और उन्होंने 2017 की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2022 में उनसे किनारा कर लिया.’ कांग्रेस से अखिलेश की मौजूदा चिढ़ के पीछे 2017 का यह सबक है, जहां सपा नेता में कांग्रेस के ‘बड़े भाई’ वाले रवैये के लिए थोड़ी सहनशीलता विकसित हुई थी. मगर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि सपा में कुछ लोग इस संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस के साथ नहीं बनी तो 2024 में अखिलेश यादव अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार उतारेंगे.
सपा-कांग्रेस में जंग तेज
सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर सपा प्रवक्ता आईपी सिंह की पोस्ट ने आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने कहा कि ‘सपा अमेठी और रायबरेली में अपने उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस को कन्नौज और आजमगढ़ में चुनाव लड़ना चाहिए. आपका दिल से स्वागत है. मैं बेटी हूं, मैं लड़ सकती हूं के नारे के बावजूद कांग्रेस बेअसर रही.’ सपा ने परंपरागत रूप से कांग्रेस के इन गढ़ों में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जिससे उसे सीटें जीतने में मदद मिली है. लेकिन, 2019 में राहुल गांधी फिर भी अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए. मौजूदा वक्त में यूपी में कांग्रेस के लिए मामले को बदतर बनाने वाले उसके प्रदेश अध्यक्ष अजय राय हैं, जिन्होंने सपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सपा को नहीं दिया भाव
राय ने यह सवाल भी उछाला कि अगर सपा यूपी में इतनी मजबूत थी तो पिछले साल आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव कैसे हार गई. अखिलेश ने पलटवार करते हुए कहा कि उनका आजमगढ़ से भावनात्मक रिश्ता है, जैसे कांग्रेस का अमेठी और रायबरेली से है और उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए. हालांकि कांग्रेस आगामी मध्य प्रदेश चुनावों में सपा के प्रति कम उदार रही है. उसने सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी. कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि गठबंधन केवल लोकसभा चुनावों के लिए है, राज्य चुनावों के लिए नहीं. अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के गठन के समय ही यह बात साफ कर देनी चाहिए थी. नाराज अखिलेश 2024 में कांग्रेस को उसी तरह जवाब देने का वादा कर रहे हैं. यह ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए बुरी खबर है.
यूपी में बीजेपी को होगा लाभ
2024 में तीसरी बार उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत नरेंद्र मोदी की फिर प्रधानमंत्री के रूप में वापसी का रास्ता साफ कर सकती है. 80 लोकसभा सीटों वाला यह राज्य विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन बसपा पहले ही गठबंधन से बाहर हो चुकी है और अब सपा-कांग्रेस के रिश्तों में खटास आ रही है. ऐसे में बीजेपी ही यूपी में बढ़त बनाती दिख रही है. बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2014 में यूपी की 80 में से 73 सीटें जीती थीं और अब 2024 में उस रिकॉर्ड को तोड़ने का लक्ष्य है ।
यह भी पढ़े : गाजियाबाद: जय श्रीराम सुनकर भड़कीं प्रोफेसर, कार्यक्रम से छात्र को भगाया