सावन में दिखा भक्तो का अजब जोश: बरेली से कछला के लिए निकाली बुलडोजर वाली कांवड़ यात्रा

सावन के दूसरे सोमवार पर तड़के से ही बरेली के नाथ मंदिरों में जलाभिषेक शुरू हो गया। इससे पूर्व रविवार शाम से ही शहर में कांवड़ियों के आने सिलसिला भी शुरू हो गया। वहीं शाही से कांवड़ियों ने बुलडोजर वाली कांवड़ यात्रा निकाली।

News jungal desk: भगवान भोलेनाथ की आराधना के पवित्र माह सावन में भक्ती के अजब-गजब रंग देखने को मिल रहे हैं। DJ के साथ धूमधाम से शिवभक्त कांवड़ यात्रा निकाल रहे हैं। बरेली के शाही क्षेत्र में रविवार को एक अनोखी कांवड़ यात्रा देखने को मिली। इसमें कांवड़िये बुलडोजर पर सवार होकर कांवड़ लेकर गए। इस कांवड़ यात्रा की इलाके में खूब चर्चा हो रही है। 

कछला के लिए रवाना बुलडोजर कांवड़ यात्रा

शाही के लमकन गांव से रविवार को अनोखे अंदाज में कांवड़ियों की टोली बुलडोजर पर सवार होकर जल लेने के लिए कछला गंगा घाट के लिए रवाना हुई। बुलडोजर पर बैठे कांवड़ियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। गांव वालों ने पुष्पवर्षा कर कांवड़ियों को विदा किया। कछला से गंगाजल लाकर कांवड़िये भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। बुलडोजर कांवड़, क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अन्य कई जगहों से भी निकली कांवड़ यात्रा 

आंवला से भी सावन माह के दूसरे सोमवार को जलाभिषेक करने के लिए मोहल्ला घेर सिताबराय से रविवार को कांवड़ियों का जत्था कछला के लिए रवाना हुआ। फूलमालाएं पहना कर लोगों ने कांवड़ियों को विदा किया। कछला घाट से जल भरने के बाद ये लोग हृदेश्वरनाथ मंदिर पर जलाभिषेक करेंगे।

भक्तों में महादेव के जयकारे की गूंज

सावन के दूसरे सोमवार को तड़के से ही बरेली के नाथ मंदिरों में जलाभिषेक शुरू हो गया। जहाँ शिवभक्तों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं।रविवार शाम से ही जलाभिषेक के लिए भक्त पूरे जोश के साथ हरिद्वार, रामगंगा और कछला से गंगाजल लेकर नाथनगरी पहुंचने लगे थे। सोमवार को गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक किया गया। इस दौरान शिवालयों में हर हर महादेव के जयकारे गूंज उठे। 

13 जुलाई को वनखंडीनाथ से कछला के लिए रवाना हुआ कांवड़ियों का एक जत्था गंगाजल लेकर रविवार शाम को वापस आ गया। जत्थे के मंदिर पहुंचने पर मंदिर कमेटी के लोगों ने महंत सतीश राठौर, महंत राजेश राठौर सहित सभी सदस्यों का फूल मालाओं से स्वागत किया। इसी प्रकार शहर के विभिन्न इलाकों से गए तमाम जत्थे देर रात तक शहर पहुंच गए। सुबह से जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया।

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