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अमेरिका: इजराइल का एयर डिफेंस अब होगा और मजबूत, ईरान के हमले के बाद अमेरिका तैनात करेगा ‘थाड’ मिसाइल रक्षा प्रणाली

अमेरिका अपनी उन्नत एंटी-मिसाइल प्रणाली, टर्मिनल हाई-एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (थाड) बैटरी, इजराइल भेजने जा रहा है। इसके साथ ही इसे संचालित करने के लिए अमेरिकी सैन्य दल भी भेजा जाएगा। इस बारे में पेंटागन ने रविवार को घोषणा की है।

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पेंटागन के प्रेस सचिव मेजर जनरल पैट राइडर ने बयान में बताया कि राष्ट्रपति के निर्देश पर, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने 13 अप्रैल और 1 अक्टूबर को ईरान द्वारा इस्राइल पर किए गए बड़े हमलों के बाद इजराइल की वायु रक्षा को मजबूत करने के लिए इजराइल में ‘थाड’ बैटरी और अमेरिकी सैन्य कर्मियों की तैनाती को मंजूरी दी है।

इजराइल की वायु रक्षा और होगी मजबूत

पेंटागन के प्रेस सचिव ने बताया कि ‘थाड’ बैटरी की तैनाती से इस्राइल की वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत हो जाएगी। यह फैसला इजराइल की सुरक्षा के प्रति अमेरिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है, खासकर ईरान से होने वाले बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के खिलाफ। यह कदम इजराइल की रक्षा और ईरान व उसके समर्थक मिलिशिया से अमेरिकियों की सुरक्षा के लिए हाल ही में किए गए अमेरिकी सैन्य समायोजन का हिस्सा है।

7 अक्टूबर के हमलों के बाद भी की थी तैनाती

राइडर ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस क्षेत्र में ‘थाड’ बैटरी तैनात की है। पिछले साल 7 अक्टूबर के हमलों के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी सैनिकों और हितों की रक्षा के लिए थाड बैटरी की तैनाती का आदेश दिया था। इससे पहले, 2019 में भी इजराइल में प्रशिक्षण और वायु रक्षा अभ्यास के लिए एक ‘थाड’ बैटरी की तैनाती की गई थी।

दक्षिणी लेबनान में इजराइल सैनिकों पर मिसाइल हमला

इससे पहले, इजराइल रक्षा बलों (IDF) ने बताया कि रविवार को दक्षिणी लेबनान से इजराइल सैनिकों पर एंटी-टैंक मिसाइलों का हमला किया गया। हमले में दो सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए और अन्य कुछ सैनिकों को भी चोटें आईं। आईडीएफ ने बताया कि मिसाइलों की भारी बौछार हुई थी, और घायल सैनिकों के परिवारों को सूचित कर दिया गया है।

यूएन के शांति सैनिकों पर नेतन्याहू की चिंता

इस बीच, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से दक्षिणी लेबनान से यूएन के शांति सैनिकों को वापस बुलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शांति सैनिकों की मौजूदगी के कारण वे हिज़बुल्ला जैसे ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों के प्रभाव में आ गए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में है।

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