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दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा अमेरिका, पार हुई कर्ज लेने की सीमा..

Us Debt Ceiling: अमेरिका के कर्ज लेने की सीमा तय है. इसे केवल संसद की मंजूरी से बदला जा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन यही करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, उनकी कोशिशें अभी तक असफल रही हैं.

News Jungal Desk: अमेरिका की जो बाइडन सरकार किसी तरह कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने की कोशिशों में लगी हुई है. अगर अगले 1 हफ्ते में ऐसा नहीं होता है तो सरकार और कर्ज नहीं ले सकेगी और वह अपने बिल भुगतान नहीं कर पाएगी. इसी जद्दोजद में राष्ट्रपति बाइडन ने सोमवार को हाउस स्पीकर कैविन मैक्कार्थी से देर तक बातचीत की. उनकी यह बातचीत बेनतीजा रही. बता दें कि कैविन मैक्कार्थी रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेता हैं. वहीं, जो बाइडन डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंध रखते हैं.

अमेरिकी सरकार बॉन्ड बेचकर कर्ज जुटाती है. देश की आर्थिक छवि बेहतरीन होने के कारण दुनियाभर के लोग अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करना पसंद करते हैं. इसके बदले सरकार उन्हें हर साल ब्याज देती है. साथ ही जब भी बॉन्डधारक की मर्जी हो वह उसे बेचकर बॉन्ड की पूरी रकम को वापस भी ले सकता है. कर्ज से मिले पैसों का इस्तेमाल अमेरिकी सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने में करती है. अमेरिका में पिछले 50-60 सालों से ऐसा ही हो रहा है. आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि अमेरिकी सरकार टैक्स वगैरह जैसे अन्य रेवेन्यू के साधनों से मिले पैसों का क्या करती है, जो उसे कर्ज लेना पड़ा.

कर्ज लेने का कारण
सरकार इनकम टैक्स, सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, कस्टम ड्यूटी और कुछ अन्य साधनों से रेवेन्यू जुटाती है. ये इसकी कमाई का मुख्य जरिया हैं. इसी तरह सैलरी, पेंशन, सोशल सिक्योरिटी, हेल्थकेयर, नेशनल सिक्योरिटी व कई अन्य चीजों पर खर्च भी करती है. अमेरिका के इस स्थिति में पड़ने का कारण है कमाई से ज्यादा खर्च करना. वित्तीय वर्ष 2021 में अमेरिका ने 334 लाख करोड़ रुपये कमाए तो 564 लाख करोड़ रुपये खर्च कर दिए. इस अतिरिक्त रकम की भरपाई बॉन्ड बेचकर मिल रहे पैसों से हो रही है. अमेरिका यहां अपनी आर्थिक शक्ति का दबदबा दिखाकर दुनियाभर से कर्ज लेता है.

अब कर्ज लेने में क्या दिक्कत
अमेरिका में 1917 में एक कानून बना कि सरकार एक सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती है. इसमें अब तक 78 बार बदलाव किया हो चुका है. सरकार किसी भी पार्टी की रही हो यह सीमा बढ़ती ही रही है. इसके लिए संसद की अनुमति लेनी पड़ती है. फिलहाल कर्ज लेने की सीमा 31.4 लाख करोड़ डॉलर है. लेकिन एक बार फिर सरकार की देनदारियां कमाई से ज्यादा हो चुकी हैं. साथ ही ये देनदारी कर्ज की सीमा को भी पार कर चुकी है. अब अगर बाइडन सरकार ने संसद से डेट सीलिंग नहीं बढ़वा पाई तो वह डिफॉल्टर घोषित हो जाएगी. अमेरिकी वित्त मंत्री जैनेट येलेन ने कहा है कि सरकार के पास केवल 1 जुलाई तक का समय है.

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