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विपक्ष पर अमित शाह का बड़ा हमला; महाबैठक को बताया फोटो सेशन

Amit Shah in Jammu: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘जब अनुच्छेद 370 लागू किया गया था, तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इस देश में 2 विधान, 2 निशान और 2 प्रधान बिल्कुल नहीं चलेंगे. इसके लिए वे सत्याग्रह करते-करते जम्मू-कश्मीर तक पहुंचे, यहां उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया गया है.’

News Jungal Desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पटना में 15 से अधिक विपक्षी दलों की चल रही बैठक पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार की राजधानी पटना में फोटो सेशन चल रहा है. भगवती नगर इलाके में एक जनरैली को संबोधित करने के दौरान विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी मिलकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं दे सकते हैं.

दरअसल, विपक्ष के कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक पटना में चल रही है, जिसमें वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी चुनौती देने के इरादे से एक मजबूत मोर्चा बनाने की रणनीति पर मंथन किया जाएगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस बैठक की अगुवाई कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारक और भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए उन्होंने कहा, “आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है और पूरा देश जानता है कि उन्हीं की कोशिशों की वजह से बंगाल आज भारत के साथ है.”

इस मौके पर गृह मंत्री ने अनुच्छेद 370 को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संघर्षों को भी याद किया. उन्होंने कहा, ‘जब अनुच्छेद 370 लागू किया गया था, उस वक्त श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका विरोध किया था और कहा कि इस देश में 2 विधान, 2 निशान और 2 प्रधान नहीं चल सकेंगे. इसके लिए वे सत्याग्रह करते-करते जम्मू-कश्मीर तक पहुंचे, यहां उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया गया था. हम सब जानते हैं उनकी हत्या कर दी गई थी लेकिन धारा-370 के निरस्त होने के बाद अब उनकी आत्मा को पूर्ण शांति मिली होगी.’ गौरतलब है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के प्रावधान वाले अनुच्छेद 370 के कड़े विरोधी थे. इस अनुच्छेद को अब रद्द कर दिया गया है. उनकी जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में निधन हो गया था. उन्होंने एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ का प्रसिद्ध नारा दिया था.

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