यूपी में नगरीय निकाय जीतना प्रदेश सरकार के लिए कोई चुनौती जैसी बात नहीं दिखती है। सभी 17 नगर निगमों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार के कामकाज के नाते भाजपा का परचम लहरना लगभग तय माना जा रहा है। सपा ने पुराने साथियों का गठजोड़ करके चुनाव लड़ने की ठानी है तो दूसरी तरफ भाजपा अपने एनडीए के साथियों से मिलकर मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या निकाय चुनाव पूरी तरह से फतह कर लेंगे? तो जवाब यही निकलता है कि बिल्कुल। प्रदेश योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल 25 मार्च को पूरा हो चुका है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साल में ही इतना कर दिखाया कि विपक्ष निकाय चुनाव में हाथ मलते रह जाएगा। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो बाकी में विपक्ष के दांत खट्टे कर दिए।
योगी उत्तर प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं कि वह पहले मुख्यमंत्री हैं जिनका दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है। उनसे पहले लंबे समय तक मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद थे जो 1954 से 60 तक पांच साल 345 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। योगी के प्रदेश में भाजपा का 2024 में विजय रथ रोकने के लिए विपक्ष गठजोड़ की राजनीति में जुटा है। पर उनका गठजोड़ योगी का तोड़ नहीं हो सकता।
भयमुक्त समाज का वादा पूरा करते हुए योगी ने पुलिस सुधार का सिलसिला जारी रखा। पांच कालिदास मार्ग स्थिति मुख्यमंत्री निवास पर पांच साल बाद फिर वह भारी बहुमत से आए और यहां पर दूसरे कार्यकाल में रहने वाले वह पहले मुख्यमंत्री बने। योगी भाजपा के स्टार प्रचारक बन चुके हैं। गुजरात में वांकानेर सीट 15 साल से कांग्रेस के पास थी, योगी ने वहीं से चुनाव प्रचार किया और सीट भाजपा योगी बाबा की झोली में यानी भाजपा के पास चली गयी। रामपुर, आजमगढ़ में उपचुनाव में सीट सपा से छीन ली। अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति ने माफियाओं के छक्के छुड़ा दिए। मुख्तार अंसारी अंदर हैं तो गुजरात की जेल में बंद प्रयागराज का माफिया अतीक यूपी में न आने के लिए सुप्रीमकोर्ट तक में अर्जी लगा चुका है। दूसरे कार्यकाल में पुलिस सुधार कार्यक्रम जारी रखा है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू कर चुके हैं।
योगी के सामने अबकी दो बड़े चैलेंज हैं जिन्हें वह अवसर के रूप में लेते हैं। पहला यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का प्रदेश बनाना। टीम इतनी मजबूत कि उनके अनुरोध पर विदेश से निवेश लाने को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी कनाडा और अमेरिका गए थे। दूसरे यूपी की सभी 80 सीटें और नगरीय निकाय में सभी 17 नगर निगम में मेयर सीट जीतने का लक्ष्य उनके सामने है। गगन- चुम्बी निवेश के प्रस्तावों से प्रदेश की तस्वीर बदलने का जो उन्होंने बीड़ा उठाया है, उसे देखकर लगता है कि थोड़ा सफल भी हो गए तो तस्वीर बदलेगी। योगी सरकार-2 ने रिकार्ड संख्या में एमओयू के साथ ही सांस्कृतिक एजेंडे को भी पैना किया। चुनाव से पहले ये एमओयू जमीन पर लाने की बड़ी चुनौती उनके सामने है। यह उनकी प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा भी है। वह इसी मिशन में जुटे भी हैं। सीएम योगी ने सभी विभागों में निवेश क्रियान्वयन इकाई भी बना दी है। पीएम नरेंद्र मोदी भी योगी की हौसलाआफजायी में जुटे हैं। यूपी में निवेशकों को भरोसा देने का प्रयास किया। फिलहाल उनकी इसी साल अगस्त के पहले हफ्ते में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी आयोजित करने की योजना है। उधर सीएम योगी ने भी मंत्रियों को जिलों में दौड़ा दिया है।
यूपी की योगी सरकार पहले कार्यकाल में 2018 में हुए समिट में 4.68 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों में तीन लाख करोड़ निवेश हो जाने का दावा कर रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि योगी-2 में कुल निवेश प्रस्तावों में 60 प्रतिशत पर भी अमल हो जाए तो यूपी की तस्वीर बदल जाएगी। यही तस्वीर प्रदेश को देश का एक नंबर का इंडस्ट्रियल स्टेट की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देगा। उन्हें चिंता सता रही होगी कि यूपी जीआईएस (उत्तर प्रदेश ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट) को सार्थक बनाकर ही दम लें वरना विपक्ष इसे कल्चरल फेस्ट कहकर चिढ़ाने भी लग सकता है। वायब्रेंट गुजरात समिट हो इनवेस्ट मध्यप्रदेश समिट को योगी की यूपीजीआईएस ने फिलहाल पीछे छोड़ दिया है। मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिरला पहुंचे थे पर मुश्किल में फंसे गौतम अडानी भी आ जाते हैं तो समिट को पंख लग जाते।
योगी की समिट में 40 देशों के प्रतिनिधियों, दस कंट्री पार्टनर देशों ने ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में मौजूदी दिखायी दी जो उत्साहवर्धन के लिए काफी है। योगी सरकार के 16 देशों के 21 शहरों में रोड शो ने माहौल बनाया तभी 19 हजार एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा सके। इसमें 19,960 निवेश प्रस्ताव एमएसएमई इकाइयों ने सौ करोड़ रुपये से कम के दिए। यह जीडीपी में उछाल की अच्छी खबर है। एक ब्रेकअप पर नजर डालिए तो जरा, 250 कंपनियों ने एक हजार करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए एमओयू (आपसी समझ पत्र) किए। 55 कंपनियों ने दो हजार करोड़ रुपये तक के निवेश के एमओयू, 186 कंपनियों ने दो हजार करोड़ रुपये ऊपर के एमओयू किए हैं।
दावा है कि इससे 93 लाख रोजगार के मौके मिलेंगे। मैन्युफैक्चरिंग, नवीकरण उर्जा के क्षेत्र में निवेश राज्य की सूरत बदलेगा। वह टेस्ट, ट्रेस, ट्रीट और टीकाकरण से कोरोना को आगे नहीं बढ़ने दिया। कोरोना जांच पर यूपी नंबर वन रहा। तीसरी लहर को बेअसर करने में सफलता पायी। योगी ने प्रदेश को एक्सप्रेस प्रदेश बना रहे हैं। यही नहीं महिला सशक्तीकरण का मिसाल यूपी को बनाने में भी कामयाब रहे। जनता को सुरक्षा कवच। सरकार में पारदर्शिता सो अलग से। सुशासन के साथ ही किसानों का भरोसा जीत रहे हैं, एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिल रहा है।
(लेखिका भाजपा से जुड़ी हैं)