बागेश्वर धाम के सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने सनातन को मानने वाले लोगों से क्रिसमस डे नहीं मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने बच्चों को सांता क्लॉस के पास ना भेजकर हनुमानजी के पास भेजना चाहिए।
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News jungal desk: बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने क्रिसमस डे को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होने लोगों से अपील की कि क्रिसमस डे का सेलिब्रेशन पाश्चात्य संस्कृति का एक प्रतीक है और सनातन को मानने वाले लोगों को पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण नहीं करना चाहिए। जिसके चलते धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों से अपील की कि वह अपने बच्चों को सांता क्लॉस के बजाय हनुमानजी की पूजा के लिए प्रेरित करें।
धीरेंद्र शास्त्री ने क्रिसमस डे पर कही ये बातें
मीडिया से बात करते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा, ‘यह क्रिसमस सनातनी संस्कृति के अनुरूप नहीं है और अभिभावकों को अपने बच्चों को सांता क्लॉस के पास ना भेजकर आसपास के मंदिरों में हनुमानजी के पास भेजना चाहिए। आज मातृ-पितृ पूजन, तुलसी पूजन दिवस भी है। मातृ-पितृ पूजन कराया जाए, तुलसी पूजन कराया जाए। सांता क्लॉस आएगा गिफ्ट लाएगा..ये क्या हम लगातार पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर रहे हैं? भारतीय और सनातनियों को इस पर विचार करना चाहिए और पाश्चात्य संस्कृति का पूरी तरह से बहिष्कार करना चाहिए। अभिभावकों को अपने बच्चों को हनुमानजी, मीराबाई और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों की तरफ प्रेरित करना चाहिए, ना कि इस तरफ।’
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पहले भी कई बार विवादित बयान देकर चर्चाओं में आ चुके हैं। कुछ माह पहले धीरेंद्र शास्त्री पर शिरडी के साईं बाबा को लेकर विवादित बयान देने का भी आरोप लगा था। इस पर मुंबई में उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करने की मांग की गई थी। यह शिकायत शिरडी के साईं संस्थान के पूर्व ट्रस्टी राहुल कनाल ने की थी। आरोप था कि धीरेंद्र शास्त्री ने अपने एक बयान में कहा था कि ‘हमारे धर्म में शंकराचार्य का सबसे बड़ा स्थान है। उन्होंने साईं बाबा को देवताओं का स्थान ही नहीं दिया है।’ धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि ‘गीदड़ की खाल पहनकर कोई शेर नहीं बन सकता।’ विवाद होने पर धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान को लेकर माफी भी मांग ली थी। उन्होंने कहा था कि ‘साईं बाबा संत-फकीर हो सकते हैं और उनमें लोगों की निजी आस्था है। इसमें हमारा कोई विरोध नहीं है। हमारे शब्दों से जिसके हृदय को ठेस पहुंची, हम उससे दिल की गहराईयों से माफी मांगते हैं।’
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