नीतीश सरकार की ओर से जाति आधारित गणना पर रोक लगाने के पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की कोर्ट ने याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।
News Jungal Desk: बिहार में जातीय गणना मामले में नीतीश सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से एक बारफिर झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखा है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई होगी।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की कोर्ट ने गुरुवार को जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”यह जांच का विषय है कि कहीं जाति गणना की आड़ में जनगणना तो नहीं की जा रही है। पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रोक लगा दी है। इस मामले में बेहतर होगा कि पहले पटना हाईकोर्ट में ही सुनवाई की जाए।”
कोर्ट ने कहा कि 3 जुलाई, 2023 को पटना हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। अगर हाईकोर्ट किसी कारणवश इस मामले पर सुनवाई नहीं करता है तो 14 जुलाई को आप सुप्रीम कोर्ट में इसकी जानकारी दीजिए। इसके बाद यहां बिहार सरकार की सभी दलीलों को सुना जाएगा।
गौरतलब है कि नीतीश सरकार की ओर से जाति आधारित गणना पर रोक लगाने के पटना हाई कोर्ट के 4 मई 2023 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होनी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने बुधवार को बिहार में जाति आधारित गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। इस कारण बुधवार को याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। न्यायमूर्ति करोल को 6 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
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