Bangladesh Violence on Hindus : बांग्लादेश के कुल 64 जिले में से 21 जिलों में हिंदू आबादी रहती है। बांग्लादेश में कई बार दंगे हुए हिंदुओं पर अत्याचार हुए मंदिर तोड़े गए लेकिन इन परिवारों ने देश छोड़ने से इनकार कर दिया था।
मगर इस बार सब्र का बांध टूट रहा है। गांव-गांव में हिंदुओं के मंदिर और घर जलाए जा रहे हैं। बार्डर खुलते ही तीन से चार लाख हिंदू पलायन कर जाएंगे।
बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) में अब हम हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है | यहाँ तक कि अधिकांश परिवार देश छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं। सैकड़ों हिंदू परिवार बांग्लादेश सीमा की तरफ निकल पड़े हैं, लेकिन बार्डर सील होने की वजह से वह बॉर्डर पार नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं अन्य जिलों में भी सक्षम हिंदू परिवार देश छोड़ने की तैयारी में हैं। बंगलादेशी हिन्दुओं का कहना है की हमें नहीं पता कि हम पलायन भी कर पाएंगे या नहीं..या फिर उससे पहले ही जमातियों व उपद्रवियों के हाथों मारे जाएंगे।’
यह दर्दनाक आपबीती है बांग्लादेश में रह रहे उन लाखों हिंदू परिवारों की, जिन्होंने वर्ष 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने में भूमिका निभाई।
देश आजाद होने के बाद भी कई बार दंगे हुए हिंदुओं पर अत्याचार (Bangladesh Violence on Hindus) हुए, मंदिर तोड़े गए लेकिन इन परिवारों ने देश छोड़ने से इनकार कर दिया था..मगर इस बार सब्र का बांध टूट रहा है।
आंखों के सामने मंदिर तोड़े जा रहे (Violence against Hindus)
वे कहते हैं, अब हमारे पास बांग्लादेश छोड़कर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यह कहना है बागोड़ा जिले के रहने वाले ख्यात गायक सुशीलचंद्र सरकार का है। वे कहते है कि 1971 में हम मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे |
लेकिन इस बार जमातियों का निशाना सिर्फ हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय (Bangladesh Violence on Hindus) ही हैं। वे कहते है कि आंखों के सामने हिन्दुओं के मंदिर तोड़े जा रहे हैं। किसी भी समय हिन्दुओं के घरों पर हमला हो सकता है। बार्डर खुलते ही हम लोग बंगलादेश छोड़ देंगे, लेकिन उससे पहले हमारे साथ क्या होगा, यह हमें भी नहीं पता |
थाना छोड़कर चले गए पुलिसकर्मी (Bangladesh Crisis 2024)
अवामी लीग नेता और त्रान व समाज कल्याण कमेटी के उपसदस्य अजय कुमार सरकार बताते हैं, बांग्लादेश के कुल 64 जिले में से 21 जिलों में हिंदू आबादी है। इनमें फिरोजपुर, गोपालगंज, बाघेरहाट, खुलना, जशोर, बागुड़ा, जिलेदा, झालोकाठी, बोडि़शाल, दिनाजपुर, पंचोग्राम, बोगुड़ा, लालमोनिर हाट, कुड़ीग्राम, रंगपुर आदि प्रमुख जिले हैं जहाँ हिन्दू आबादी अधिक थी।
1986 का दौर था, जब मैं और मेरे गांव के बच्चे मुसलमान आबादी को देखने के लिए गांव से 10 किमी दूर जाते थे, क्योंकि अधिकांश हिस्सा हिंदुओं के पास था। आज चंद घर बचे हैं। इस बार ये घर भी नहीं बचेंगे। दूपचाचिया, आदोमदिघी में तो परसों रात से ही हिंदू परिवारों के घरों पर हमले हो रहे हैं।
कई थाने जलाने की सूचना आने के बाद से ग्रामीण अंचलों के कई थाने खाली हो गए हैं। पुलिसकर्मी थाने छोड़कर चले गए हैं। अब सुरक्षा (bangladesh news) के लिए वे लोग कहां जाएं? इस बार हालात देखकर लग रहा है कि बार्डर खुलते ही दो से तीन लाख हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर जाएंगे। जो थोड़े से समृद्ध हैं, वे भी एक महीने के भीतर किसी दूसरे देश में जाकर शरण लेने की कोशिश करेंगे।
एक सप्ताह से दफ्तर में कैद (Bangladesh Violence)
एक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले निक्सन हालदार बीते एक सप्ताह से दफ्तर में ही कैद हैं। वह कहते हैं- दफ्तर की खिड़की से हम लोग सब टूटते-बिखरते देख रहे हैं। खौफनाक मंजर है। मोबाइल नेटवर्क बंद कर दिया गया था। अवामी लीग नेता शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मोबाइल नेटवर्क शुरू हुआ।
उसके बाद जो तस्वीरें सामने आईं, वह दिल दहलाने वाली हैं। गांव-गांव में हिंदुओं के मंदिर और घर जलाए (communal violence in bangladesh) जा रहे हैं। बार्डर खुलते ही तीन से चार लाख हिंदू पलायन कर जाएंगे।
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दंगाइयों से बचाने के लिए खुद ही घर-दुकान तोड़ रहे हैं लोग (How are Hindus Treated in Bangladesh)
हमले (anti hindu riots in bangladesh) के दौरान घर से भागकर जान बचाने वाले सातखीड़ा के डा.सुब्रत घोष का कहना है- मैं घर नहीं जा पा रहा हूं, क्योंकि दंगाई कभी भी पहुंच सकते हैं। हमारे इलाके में ये हालत है कि अपना व्यवसाय या घर बचाने के लिए लोग खुद ही उसमें आग लगाकर वीडियो प्रसारित कर रहे हैं।
ताकि दंगाई उनके घर तक न पहुंचें। क्योंकि यदि वे घर तक पहुंच गए तो उनके परिवार व महिलाओं को बचाना मुश्किल हो सकता है।
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