महेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) : जेपी नड्डा के मंत्री बनने के बाद आरएसएस को विश्वास में लेकर भाजपा जल्द ही कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा 31 अगस्त तक कर सकती है। यह भी खबर है कि पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा संगठनात्मक चुनावों को लेकर इस शनिवार तक यहां राज्य पार्टी अध्यक्षों, राज्य प्रभारियों और राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करेंगे। यूपी में 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव में फतह पर भी चर्चा संभव है। लोकसभा चुनाव में हार से यूपी को लवकर भाजपा अपसेट है। भाजपा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया मंडल और ब्लॉक स्तर पर सदस्यता अभियान से शुरू होती है, जिसमें इन स्तरों पर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होते हैं, उसके बाद राज्य अध्यक्षों का चुनाव होता है। जब 50 प्रतिशत राज्य अध्यक्षों का चुनाव कर लेते हैं, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव होता है। भाजपा अध्यक्ष का चुनाव तो होता है, लेकिन आमतौर पर इस पद के लिए कोई मुकाबला नहीं होता है, वरिष्ठ नेताओं द्वारा तय किया गया नाम ही मैदान में एकमात्र उम्मीदवार होता है। वर्तमान परिदृश्य में भी, यह संभावना है कि कार्यकारी अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी, और उसके बाद अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बताते हैं कि बीते इतवार की रात
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर खुद राजनाथ, अमित शाह और नड्डा के साथ-साथ भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और आरएसएस के दूसरे नंबर के नेता दत्तात्रेय होसबेले की पांच घंटे की मैराथन बैठक हुई जिसका उद्देश्य भाजपा और आरएसएस दोनों को स्वीकार्य नाम तय करना था। यह नाम किसका है? पता नहीं चल सका। कयास लगाए जा रहे हैं।अनुराग ठाकुर, देवेंद्र फणनवीस, कैशव प्रसाद मौर्य, धर्मेंद्र प्रधान का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। बहरहाल नाम कोई भी हो लेकिन उस पर मुहर संघ की लगने के बाद घोषणा की जाएगी। भाजपा के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि ‘आरएसएस की इच्छा है कि 31 अगस्त से 2 सितंबर के बीच पलक्कड़ (केरल) में आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों जैसे भाजपा, विहिप और अन्य की वार्षिक समन्वय बैठक से पहले कार्यकारी अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाए। इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रयास किए गए थे लेकिन ऐसा लगता है कि आरएसएस ने समय सारिणी थोप दी है। नड्डा के संभावित प्रतिस्थापन के रूप में वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के नाम चर्चा में हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो भाजपा आलाकमान और आरएसएस दोनों को स्वीकार्य होगा।