-सोनिया गांधी और मायावती के बीच कई चक्र हुई वार्ता
-न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने में जुटे दिग्गज
महेश शर्मा
न्यूज़ जंगल स्पेशल। बसपा प्रमुख मायावती जल्द इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकती हैं। सोनिया गांधी से मायावती की बातचीत चल रही है। मोदी को रोकने के लिए इस रणनीति को अंतिम रूप दिया जा चुका है। अखिलेश की सहमति भी जल्द मिल सकती है।
बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा न होना और सपा के सिर्फ खास सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा से गठबंधन के नए स्वरूप के संकेत मिलते हैं। दलित और मुसलमानों पर गठबंधन के दलों की काफी मजबूत पकड़ है। इन्हीं दोनों का वोट प्रतिशत लगभग 38 के अल्लेपल्ले जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा को 2024 में सत्ता से दूर रखने विपक्ष के पास यही उपाय है कि मायावती से गठजोड करके उन्हें पीएम का कंडीडेट घोषित करके चुनाव में जाए। हालांकि सीट शेयरिंग में दलित नेता की महत्वाकांक्षाएं जग सकती है लेकिन इसके यूपी में सपा और कांग्रेस मायावती के लिए सीटें छोड़ सकती है। इसके अलावा मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी बसपा लिए गुंजाइश छोड़ी जा सकती है। मायावती को जोड़ने के मिशन में खुद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सक्रिय हैं।
एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं
–चुनाव में सबसे पहले प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करने वाली बसपा ने इस बार अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जिसके चलते ही गठबंधन में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
बसपा के एक मुस्लिम नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि कुछ बसपा सांसद भाजपा में चले गए। एक सांसद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में घूम रहे हैं। बसपा का यूपी में केवल एक विधायक है। इसलिए पार्टी की चुनौती काफी बढ़ रही है।
सपा और बसपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में 38-38 सीटों पर मिलकर लड़ा था और अमेठी और रायबरेली सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। तब उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के तहत बसपा ने जहां 10 सीटें जीती थीं, वहीं सपा ने पांच सीटें जीती थीं।
गठबंधन के लिए जीत का फॉर्मूला स्पष्ट है। 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में, भाजपा को 41.3 प्रतिशत वोट मिले। इंडिया ब्लॉक बनाने वाली पार्टियों को लगभग 40 प्रतिशत वोट मिले और बसपा को लगभग 13 प्रतिशत वोट मिले। अगर बसपा गठबंधन में शामिल होती है ,तो वोट प्रतिशत 50 फीसदी से ऊपर चला जाएगा जो बीजेपी से सत्ता छीनने के लिए काफी है। उन्होंने कहा, ”मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से भगवा ब्रिगेड द्वारा लुभाए गए दलित मतदाता भी वापस आ जाएंगे।
–लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं