टिप्पणी: सरनेम पर चर्चा यानी संसद के वक्त की बर्बादी
आप सर नेम में बाबा का गोत्र लेते हैं कि नाना का? इस सवाल का जवाब कोई भी नागरिक दे देगा। पर यदि चर्चा संसद में होंगी तो इसी से विश्व को अंदाजा लग जाएगा कि भारत की संसद फिजूल की चर्चा भी कर लेता है। 9 फरवरी को प्रधानमंत्रीContinue Reading