Chandipura Virus Infection : चांदीपुरा वायरस का संक्रमण अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए दिक्कतें बढ़ाता जा रहा है। करीब एक महीने से गुजरात के कई हिस्सों से संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे थे, हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब ये वायरस मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर पिछले दिनों तीनों राज्यों में चांदीपुरा वायरस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामलों की समीक्षा की।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने एम्स, निमहंस सहित कई अन्य राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञों के साथ गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में संक्रमण की समीक्षा की है। फिलहाल गुजरात में इस वायरस का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया, अब तक राज्य में चांदीपुरा वायरस के 50 मामले (Gujarat chandipura virus news) सामने आए हैं और 16 लोगों की जान गई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश से तीन मामले सामने आए हैं।
इस बढ़ते संक्रामक रोग को लेकर लोगों के मन में डर देखा जा रहा है।आखिर ये चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus Infection) क्या है, क्यों इसे इतना खतरनाक माना जा रहा है? आइए इन सबके बारे में विस्तार से समझते हैं।
चांदीपुरा वायरस का बढ़ता खतरा (Chandipura Virus Symptoms)
गौरतलब है कि चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus in hindi)के संक्रमण के कारण एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का खतरा देखा जा रहा है, जिसमें संक्रमण के कारण मस्तिष्क में सूजन सहित गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं। इस संक्रमण के घातक होने के पीछे एईएस को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून से लेकर अब तक तीनों राज्यों में 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों में एईएस के 78 मामले सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश मामले और मौतें गुजरात में हुई हैं।
ये संक्रमण (Chandipura Virus Infection) बच्चों में अधिक देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की जरूरत है।
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मस्तिष्क को क्षति पहुंचा रहा है ये चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus News)
चांदीपुरा वायरस को घातक संक्रामक रोगों में से एक माना जा रहा है। चांदीपुरा वायरस रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। वैसे को इसके मामले काफी दुर्लभ रहे हैं लेकिन संक्रमितों में घातक स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा रहता है।
बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला ये संक्रमण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकता है। गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है। इस संक्रमण के कारण मृत्यु दर 56 से 75 प्रतिशत तक देखी जाती रही है।
एक्यूट इंसेफेलाइटिस हो सकती है जानलेवा (Chandipura Virus Transmission)
संक्रमण की गंभीर स्थिति में एक्यूट इंसेफेलाइटिस (chandipura virus encephalitis) (मस्तिष्क में सूजन) हो सकती है। समय पर उपचार न मिल पाने के कारण रोगी की मौत होने का भी खतरा देखा जाता रहा है। एईएस न्यूरोलॉजिकल समस्या है जो कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायनों के कारण हो सकता है।
मस्तिष्क में होने वाली सूजन की समस्या के कारण भ्रम, दौरे पड़ने, कमजोरी और संवेदना की हानि जैसे लक्षण हो सकते हैं जिसमें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। गंभीर मामलों में जानलेवा भी हो सकती है।
कैसे रहें चांदीपुरा वायरस से सुरक्षित (Chandipura Virus Treatment)
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों को इस संक्रामक रोग से सुरक्षित (Chandipura Virus Prevention) रखने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। प्रभावित क्षेत्रों में खेतों या झाड़ियों में जाने से बचें। मच्छरों, टिक्स और मक्खियों से बचाव करें। संक्रमण के लक्षणों के बारे में जानना और समय रहते इलाज प्राप्त करना सबसे आवश्यक हो जाता है। स्वच्छता और जागरूकता ही इस बीमारी के खिलाफ उपलब्ध एकमात्र उपाय है।
चांदीपुरा वायरस का संक्रमण चूंकि काफी दुर्लभ है इसलिए अभी तक इसका कोई उचित इलाज नहीं है। संक्रमण का समय पर पता लगने और सहायक उपचार शुरू हो जाने से इसके गंभीर रूप लेने और मस्तिष्क से संबंधित विकारों के खतरे को कम किया जा सकता है।
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