चंद्रयान-3 के सामने अभी बाकी है बड़ी चुनौती! इसरो जुटा गहन तैयारियों में…

 भारत के चंद्रयान-3 की स्थिति अभी आशाजनक बनी हुई है. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के मुताबिक इसका सबसे चुनौती भरा चरण अब आगे आने वाला है. यह चरण तब होगा जब चंद्रयान-3 को धीरे-धीरे चंद्रमा के करीब की 100 किमी. की गोलाकार कक्षा में पहुंचाया जाएगा

News jungal desk : भारत के तीसरे मून मिशन (Moon Mission) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की स्थिति अभी आशाजनक बनी हुई है । और मगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ (S Somanath) के मुताबिक इसका सबसे चुनौती भरा चरण अब आगे आने वाला है । इसरो चंद्रयान-3 के कक्षा निर्धारण की प्रक्रिया के दौरान सबसे महत्वपूर्ण चरण को आने वाले वक्त में अंजाम देने वाला है । और यह चरण तब होगा जब चंद्रयान-3 को धीरे-धीरे चंद्रमा के करीब की 100 किमी. की गोलाकार कक्षा में पहुंचाया जाएगा ।

14 जुलाई को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 अब चंद्रमा के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा में स्थित है । और जिसकी लंबाई 170 किमी x 4,313 किमी है. 9 और 17 अगस्त को इसरो स्पेशल ऑपरेशन के जरिये चंद्रयान-3 को चंद्रमा की 100 किमी. स्थिर गोलाकार कक्षा में पहुंचाने की कोशिश करने वाला है. पिछली बार 6 सितंबर, 2019 को चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करते समय अपने तय रास्ते से भटक जाने पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था । और इसरो ने दावा किया था कि दुर्घटना ‘सॉफ्टवेयर गड़बड़ी’ के कारण हुई थी । बहरहाल इस बार 23 अगस्त को विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है ।

इसरो के चीफ सोमनाथ ने कहा कि ‘100 किमी. तक हमें कोई कठिनाई नहीं दिखती है. यहां तक कठिनाई केवल पृथ्वी से सटीक रूप से लैंडर की स्थिति का अनुमान लगाने में हैं. यह माप एक बहुत ही महत्वपूर्ण माप है, हम इसे कक्षा निर्धारण प्रक्रिया कहते हैं. अगर यह सही है तो बाकी प्रक्रिया की जा सकती है.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘इस बार हम इसे बहुत सही ढंग से नीचे लाने में सक्षम हैं. कक्षा में बदलाव योजना के हिसाब से हो रहा है. कोई अंतर नहीं है. इसलिए यह शानदार नतीजे दिखा रहा है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाएगा.’

आंशिक सफलता हासिल करने वाले 2019 के चंद्रयान-2 मिशन से मिले सबक पर बात करते हुए सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर लैंडिंग की कोशिश के मार्गदर्शन में चंद्रयान-2 मिशन के अनुभवों से लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि ‘चंद्रयान-2 का अनुभव बहुत मददगार होगा. हमने विस्तार से जांच की थी कि उस समय क्या गलत हुआ. हमने चंद्रयान-3 में कई संशोधन किए. चंद्रयान-2 से हासिल तस्वीरों का उपयोग करते हुए चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए बेहतर जगह तय करने और नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में मदद मिली.’ इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि ‘हमने अचानक पेश आने वाली कठिनाइयों और विफलता से निपटने के लिए अधिक जानकारी जुटाई है.’

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