चंद्रयान-3 बुधवार शाम को चांद पर लैंड करेगा,4 साल में 3 मून मिशन फेल, आखिर चांद के साउथ पोल पर क्यों कठिन है लैडिंग?

23 अगस्‍त शाम 6:03 बजे चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करेगा. इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने मिशन को भेजा रहा है. यह क्षेत्र बेहद चुनौतियों भरा है. यही वजह है कि चार साल पहले भारत का चंद्रयान-2 मिशन इस क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग के वक्‍त दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया था.

News jungal desk : 6 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग से पहले हाल ही में रूस का लूना-25 क्रैश हो गया था इसके साथ ही करीब पांच दशक बाद भारत के इस मित्र देश का चांद पर उतरने का सपना चूर-चूर हो गया था । और बीते चार सालों की बात की जाए तो भारत के चंद्रयान-2 के अलावा दक्षिणी ध्रुव पर भेजे गए जापान और इजरायल के मून मिशन भी फेल हो चुके हैं । और ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर चांद की भूमध्य रेखा के मुकाबले दक्षिणी ध्रुव पर मिशन भेजना इतना मुश्किल क्‍यों है?

चंद्रयान-3 की प्रस्तावित प्राथमिक लैंडिंग साइट को लेकर  बताया गया कि चंद्रमा के ऊबड़-खाबड़ इलाके से भरा दक्षिणी ध्रुव तापमान में गिरावट के कारण अरबों सालों से अंधेरे की छाया में है । और जहां शोधकर्ताओं ने पहले बर्फ के रूप में पानी की उपस्थिति की खोज की थी । लैंडिंग क्षेत्र को समझने के उद्देश्य से, गुजरात में विक्रम साराभाई द्वारा स्थापित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के शोधकर्ताओं में बात की गई है ।

पीआरएल के शोधकर्ताओं ने चंद्रयान-3 के प्रस्तावित लैंडिंग क्षेत्र का अध्‍ययन किया है । इस दौरान पाया गया कि यहां बेहद अधिक गड्ढों और चट्टानों की मौजूदगी है । भूकंप की वजह से यहां स्थितियां बेहद कठिन हैं । पांच दशक पहले नासा के अपोलो अंतरिक्ष मिशन के दौरान वहां भूकंपमापी यंत्र छोड़ा गया था । जांच के दौरान उन्होंने पाया कि चंद्रमा जीवित था और चमक रहा था. सतह के नीचे से भूकंप के कुछ झटके आते हैं । संभवतः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण ऐसा होता है ।

पृथ्‍वी के गुरुत्वाकर्षण का चांद पर असर
कई वर्षों के शोध के बाद रिसर्चर इस नतीजे पर पहुंचे कि भूकंप, आंतरिक गर्मी से बचने और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से वहां ऐसी स्थिति उत्‍पन्‍न हुई । इस गड़बड़ी को थ्रस्‍ट फॉल्‍ट की श्रेणी में रखा गया है । इससे आसपास के क्षेत्र के कुचले जाने पर एक भूवैज्ञानिक ब्लॉक गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध ऊपर की ओर खिसकता है । चंद्रमा के ये थ्रस्‍ट फॉल्‍ट इस बात का संकेत हैं कि पूरा गोला सिकुड़ रहा है क्योंकि यह आंतरिक गर्मी खो देता है। ठंडा हो जाता है और सिकुड़ जाता है।

दक्षिणी ध्रुव पर हैं बड़े-बड़े गड्ढ़े
चंद्रयान-3 के प्रस्तावित लैंडिंग स्थल पर ऐसे लोबेट स्कार्पियों की उपस्थिति और इसके संभावित परिणामों पर हाल ही में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ग्रह विज्ञान विभाग द्वारा एक शोध पत्र में प्रकाश डाला गया है । अध्ययन में चंद्रयान-3 के प्रस्तावित प्राथमिक लैंडिंग स्थल के पश्चिम में ~6 किमी की औसत क्षैतिज दूरी पर स्थित लोबेट स्कार्प के लगभग 58 किमी लंबे खंड के अस्तित्व का संकेत देने वाले साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं । पहाड़ों से भरे दक्षिणी ध्रुव पर बड़े गड्ढों और विस्तारित लोबेट स्कार्पियों के कारण भूभाग कठिन और खतरनाक है. यह कम रौशनी के कारण अरबों वर्षों से लगातार अंधेरे में हैं, जहां तापमान -300 डिग्री से नीचे गिर सकता है ।

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