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एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव, निराला पंत फिराक गोरखपुरी की रचनाएं हटाई गईं, देखिए पूरा मामला

देशभर के उन स्कूलों में जहां एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं, वहां सिलेबस में किए गए बदलाव लागू किए जाएंगे. इसमें CBSE और उत्तर प्रदेश बोर्ड भी शामिल है…सिलेबस में किया गया बदलाव मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी 2023-24 से ही लागू होगा. नए सिलेबस में कई महान कवियों की रचनाएं भी हटा दी गई हैं, जिसको लेकर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई है ।

News Jungal desk : डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की उपर्युक्त लिखी गई लाइनों को अब छात्रों को नहीं पढ़ाया जाएगा. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12वीं के पाठ्यक्रम से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की इस रचना को हटा दिया है । और इसी क्रम में फिराक गोरखपुरी की रचनाओं  के भी कुछ भाग हटाए गए हैं । और एनसीईआरटी की यही किताबें CBSE के अधीन संचालित सभी स्कूलों व इंटर कॉलेजों में पढ़ाई जाती हैं. अन्य रचनाओं व अध्यायों को भी हटाया गया है और एनसीईआरटी ने ऐसा करने के पीछे कारण यह दिया है कि स्टूडेंटों के लिए सिलेबस का बोझ कम हो

यह बदलाव शैक्षिक सत्र 2023-24 से लागू किया गया है. एनसीईआरटी ने इसकी जानकारी वेबसाइट पर दिया है । और कुछ वर्ष पहले यूपी बोर्ड भी 12वीं के पाठ्यक्रम से निराला की रचनाओं को बाहर कर चुका है । और एनसीईआरटी की ओर से तैयार “आरोह भाग-2” और “अंतरा भाग-2” सीबीएसई 12वीं में पढ़ाई जाती है. अंतरा भाग-2 से निराला की रचना “गीत गाने दो मुझे” और जाने-माने साहित्यकार विष्णु खरे की “एक काम और सत्य” को हटा दिया गया है ।

कक्षा 11वीं के पाठ्यक्रम से सुमित्रानंदन पंत की कविता “आंखें”
– मीराबाई रचित “पग घुंघरू बांध मीरा नाची”
– कबीर रचित “संतो देखत जग बौराना” पद भी हटाया गया

– 12वीं कक्षा की कंप्यूटर साइंस की पाइथन किताब में “सीक्वेंशियल क्वेरी लैंग्वेज” अध्याय हटाया
– केमिस्ट्री 11वीं में स्टेट ऑफ मैटर, हाइड्रोजन, एस ब्लॉक एलिमेंट, पी ब्लॉक एलिमेंट, एनवायरमेंटल केमेस्ट्री अध्याय
– साइंस कक्षा 6 में फूड वेयर, डस कंपनी, फाइबर टो फैब्रिक, वेदर और गार्बेज इन गार्बेज आउट चैप्टरों को नए सत्र से हटा दिया गया है.

साहित्यकारों ने जताया अफसोस

प्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने NCERT के फैसले को गलत ठहराया है. वह कहती हैं ‘निराला प्रगतिशील कवि हैं, फिराक भी क्रांतिकारी विचारों वाले शायर है. हिंदी-उर्दू में यह नाम क्रांतिकारी होने के साथ बेहद अहम हैं. निराला और फ़िराक को पाठ्यक्रम से हटाकर बहुत खराब काम किया गया है.’ कथाकार नासिरा शर्मा ने कहा ‘निराला और फ़िराक को पाठ्यक्रम से हटाना अफसोसजनक है. अगर किसी किस कवि की रचना हटाई जाती है, तो उसी की दूसरी रचना शामिल करनी चाहिए ।

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