शहर के प्राचीन मंदिरों में एक नाम चोर गणेश’ का भी आता है, जिसका जिक्र अवंतिका खंड मे भी है. यह मंदिर हजारों साल पुराना है, कहा जाता है यदि कोई 5 बुधवार चौर गणेश के दर्शन करता है तो उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है.
News jungal desk : विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में तथा जगह जगह गणेश उत्सव की धूम मची हुई है. 10 दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. हर गली हर चौराहे पर बप्पा विराजमान हैं. ऐसी ही एक चर्चित मंदिर है उज्जैन के पुराने शहर में जिसकी मान्यता है. यह मंदिर सिंहस्थ मेला क्षेत्र में रामजनार्दन मंदिर मार्ग पर यह स्थित है. यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसे लोग चोर गणेश ( चौर गणेश) के नाम से जाना जाता हैं.
इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह हजारो साल पुराना है. इसकी मान्यता के बारे मे अवंतिका खंड में ‘चोर गणेश’ का उल्लेख भी है. वैसे मंदिर में स्थापित श्री गणेश का वास्तविक नाम दुर्मुख गणेश है. लेकिन इन्हें ‘चोर गणेश’ के नाम से भी जाना जाता है. बुजुर्गों की मानें तो पहले जब भी कोई चोर किसी चोरी की घटना को अंजाम देने जाते थे तब यहां माथा टेकते थे और चोरी के सामान का बटवारा भी इसी मंदिर परिसर में आकर करते थे, तब से इस मंदिर को चोर गणेश मन्दिर के नाम से जानते है लोग.
सूंड बाएं हाथ की ओर
इस मंदिर के भगवान गणेश की मूर्ति भी खास है. सामान्य तौर पर गणेश मूर्ति Ganesh idol की सूंड दाएं तरफ को होती है. लेकिन इस प्रतिमा की सूंड बाएं हाथ की ओर उठी हुई है. यह स्थान शहर के अष्टविनायक मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में सच्चे मन से जो भी भक्त प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
पांच बुधवार में मनोकामना होती पूरी
ऐसा भी बताया जाता है की मंदिर मे जो कोई श्रद्धालु लगातार पांच बुधवार जाता है और भगवान चोर गणेश के दर्शन करता है. उसकी समस्त मनोकमना पूरी हो जाती है. यहां दूर दूर से श्रद्धालु आते दर्शन करने के लिए .
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