दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज यानी मंगलवार को माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात की है। येचुरी ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उन्हें समर्थन देने का वादा भी किया है। केजरीवाल बीते कई दिनों से केंद्र को घरने के लिए विपक्षी नेताओं को लामबंद कर रहे हैं।
News Jungal Desk: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात की है। सीपीआई (एम) ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार को समर्थन देने का फैसला लिया है।
केजरीवाल ने येचुरी से अपनी मुलाकात के दौरान दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उनके समर्थन को मांगा है। केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन पाने के लिए केजरीवाल इस समय कई विपक्षी नेताओं से संपर्क साध चुके हैं।
दिल्ली के सीएम ने अपनी इस मुलाकात के बारे में सोमवार को ट्वीट करके बताया था कि वह मंगलवार दोपहर साढ़े 12 बजे माकपा मुख्यालय में सीताराम येचुरी से मुलाकात करके केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगेंगे।
ये विपक्षी नेता दे चुके हैं केजरीवाल को समर्थन
इस मुद्दे पर केजरीवाल ने सभी विपक्षी नेताओं से आग्रह करते हुए उनके अध्यादेश के विरोध में समर्थन मांगा था। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर केजरीवाल को समर्थन दिया है। केजरीवाल ने इन नेताओं से पिछले ही सप्ताह मुलाकात की थी।
क्या है केंद्र द्वारा लाया अध्यादेश
अध्यादेश की बात करें तो इसमें कहा गया है कि दिल्ली भारत की राजधानी है, जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन होगी। ऐसे में अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार भी राष्ट्रपति के अधीन रहेगा। इस अध्यादेश के अनुसार, राजधानी में अब अधिकारियों का तबादला और नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) के माध्यम से ही होगी।
इस अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे, मगर मुख्य सचिव व गृह सचिव इसके सदस्य होंगे और मुख्य सचिव व गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को अनुमोदन करेगी और अधिकारियों के तबादले और नियुक्तियों में अगर कोई विवाद होता है तो आखिरी फैसला दिल्ली के एलजी का मान्य होगा।
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