छुट्टी पर गए सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो की गोली मारकर हत्या,आयकर कर्मी भी हुआ हिंसा का शिकार

मणिपुर में टोरबुंग में मार्च के दौरान, एक सशस्त्र भीड़ ने मेइती समुदाय के लोगों पर कथित तौर पर हमला किया, जिसके कारण घाटी के जिलों में जवाबी हमले हुए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई. मैतेई आबादी का लगभग 53% हिस्सा है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40% हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं जो घाटी को घेरते हैं. इंफाल घाटी में शुक्रवार छिटपुट झड़पें हुईं. भारतीय सेना को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए फ्लैग मार्च के आदेश भी मिले हैं, इसलिए स्थिति अब काबू में दिखाई दे रही है ।

News Jungal Desk : मणिपुर बीते कुछ दिन से हिंसा की चपेट में है । और हमलावरों ने शुक्रवार दोपहर को कोबरा कमांडो की गोली मारकर हत्या कर दिया है । , जिसके बाद से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है । बता दें कि कई जवान छुट्टी के बाद मणिपुर में वापस आ रहे हैं । CRPF ने छुट्टी पर गए जवानों की सुरक्षा को देखते हुए परिवार के साथ नजदीकी कैंप में पहुंचने को बोला है ।  एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सीआरपीएफ ने सभी इकाइयों, विंगों और सेक्टरों को मणिपुर से आने वाले जवानों से संपर्क करने के लिए बोला है ।

यह निर्देश सीआरपीएफ के कोबरा के एक कमांडो की मौत के बाद आया है । और शुक्रवार को चुराचंदपुर जिले में सशस्त्र हमलावरों द्वारा उन्हें गोली मार दी गई थी । और  सीआरपीएफ के एक अधिकारी के अनुसार, बिष्णुपुर पुलिस जिले के अंतर्गत आने वाले सिडेन गांव में तनाव के दौरान गोली लगने से 27 वर्षीय कांस्टेबल चोंगखोलेन की मौत हो गई थी । अधिकारी ने बोला कि सीआरपीएफ कमांडो को निशाना बनाने के लिए स्थानीय निर्मित बंदूकों का इस्तेमाल किया गया था .  कॉन्स्टेबल चोंगखोलेन छुट्टी पर थे और उन्हें 7 मई को फिर से ज्वाइन करना था ।

कार्रवाई के लिए कमांडो बटालियन (CoBRA) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक विशेष गुरिल्ला युद्धक कमांडो इकाई है और सबसे मजबूत और शारीरिक रूप से फिट कर्मी इसके रैंक में शामिल हो सकते हैं . और  इसकी 10 बटालियनों में से अधिकांश छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैनात हैं । इसके अलावा कुछ इकाइयों को देश के पूर्वोत्तर भाग में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए काम सौंपा गया है ।

पुलिस ने बोला कि टोरबुंग में मार्च के दौरान, एक सशस्त्र भीड़ ने मेइती समुदाय के लोगों पर कथित तौर पर हमला किया है । जिसके कारण घाटी के जिलों में जवाबी हमले हुए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई. मैतेई आबादी का लगभग 53% हिस्सा है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं.  आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40% हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं जो घाटी को घेरते हैं. इंफाल घाटी में शुक्रवार छिटपुट झड़पें हुईं. भारतीय सेना को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए फ्लैग मार्च के आदेश भी मिले हैं, इसलिए स्थिति अब काबू में दिखाई दे रही है ।

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