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सीएसए कानपुर : योग और ध्यान से सम्पूर्ण कल्याण

सीएसए परिसर में एक ही स्थान पर चल रहे ध्यान-योग के 27 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हार्टफुलनेस संस्थान ने शिविर लगाया गया । आहार, विहार, व्याहार, विचार आदि में सन्तुलन होना बहुत आवश्यक है । विकारों को हटाकर हम सक्रिय रूप से उन्नतिशील हो सकते हैं.

News Jungal Desk: मनुष्य को कभी सरलता नही छोड़नी चाहिए। सदैव अपनी संस्कृति के जड़ से जुड़े रहना चाहिए। योग और ध्यान हमारे ऋषि-मुनियों की धरोहर है. ध्यान योग से शारीरिक, मानसिक Mental , भावनात्मक और सामाजिक आयामो में सन्तुलन कायम रहता है। योग अभ्यास से मनुष्य का पूर्ण रूप से विकास होता है. वह सदैव स्वस्थ्य रहता है. सरलता और ध्यान-योग से ही ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है।


वरिष्ठ चिकित्सक एवं पूर्व डीजीएमई डॉ. वीएन त्रिपाठी ने सीएसए परिसर में हरेभरे वृक्षों के नीचे सुबह 6:30 से 7:30 बजे तक चलने वाले ध्यान-योग के 27 वर्ष पूरे होने पर हार्टफुलनेस संस्थान के वरिष्ठ प्रशिक्षक एवं योगाचार्य वीएन निगम की ओर से आयोजित शिविर में व्यक्त किए.
उन्होंने कहा-मनुष्य जीवन के चार उद्देश्य (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) हैं. मोक्ष प्राप्त करने के लिए शरीर का स्वस्थ्य होना सबसे महत्वपूर्ण। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक शरीर में केवल रोग की अनुपस्थिति स्वास्थ्य का उल्लेखनीय कारक नहीं है। स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण की स्थिति है। स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए- आहार, विहार, व्याहार, विचार आदि में सन्तुलन होना बहुत आवश्यक है। सूर्य नमस्कार अपने आप मे पूर्ण व्यायाम है।

विकारों को हटाकर हम सक्रिय रूप से उन्नतिशील हो सकते हैं : वीएन निगम

योगाचार्य वीएन निगम ने बताया कि विकार आध्यात्मिक उन्नत में रुकावट पैदा करते हैं। परंतु, शरीर मे विकार होना तो स्वाभाविक है. योग और ध्यान के निरंतर अभ्यास से विकारों को हटाकर हम सक्रिय रूप से उन्नतिशील हो सकते हैं। योगाचार्य एवं प्रशिक्षक ऋषि प्रकाश ने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए सूक्ष्म योगा का प्रशिक्षण दिया. सीए एवं प्रशिक्षक अजीत कुमार पांडिया ने सरल व्यायाम से मस्तिष्क की सक्रियता और याददाश्त को अच्छा रखने के टिप्स दिए .

रामायण और गीता जैसे पवित्र ग्रंथ से जीवन को सुगम बनाए

रिटायर्ड निदेशक उर्सला हॉस्पिटल एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. यूसी सिन्हा ने कहा, योग आपस मे जुड़ाव उत्पन्न करता है. आत्मा परमात्मा से, शरीर प्रकृति से और प्रकृति फिर मनुष्य आपस मे जोड़कर रखती है. हमें शारीरिक साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने आधुनिकता के चक्कर मे हमें अपनी संस्कृत को नहीं भूलना चाहिए। रामायण और गीता जैसे पवित्र ग्रंथ से जीवन को सुगम बनाएं । उर्सला हॉस्पिटल के चीफ फॉर्मेसिस्ट डॉ. दिलीप मिश्रा ने आह्वान किया कि हमें सीखने की कला को कभी नही छोड़ना चाहिए।

विमलेश शंकर अवस्थी (प्रांतीय अध्यक्ष), श्री बृजेश शर्मा‚ एनके चतुर्वेदी, रविश श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे.

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