दशहरे से जुड़ी तीन ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियाँ

दशहरा का पर्व नवरात्रि के दसवें दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। खासकर बंगाल में इस दिन दुर्गा पूजा का विशेष महत्त्व होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने इस दिन राक्षस राजा रावण का वध किया था, और इसी उपलक्ष्य में हर साल दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। इसे विजयदशमी या आयुध पूजा भी कहा जाता है, जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है और इसे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

दशहरे के दिन भगवान श्रीराम ने रावण को पराजित किया था, वहीं देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसीलिए यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। विजयदशमी न केवल ऐतिहासिक महत्व का दिन है, बल्कि इससे जुड़ी कई पौराणिक कहानियाँ भी हैं। ‘दशहरा’ संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘दस सिरों वाला हारा’। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।

दशहरे से संबंधित तीन प्रमुख पौराणिक कहानियाँ हैं: भगवान श्रीराम द्वारा रावण वध, माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर वध, और पांडवों से जुड़ी कहानी। आइए इन कहानियों को विस्तार से जानते हैं।

श्रीराम द्वारा रावण वध


दशहरे की सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध की है। भगवान राम की कथा, अयोध्या में उनके जन्म से लेकर, माता सीता के साथ विवाह, और फिर 14 वर्षों के वनवास की यात्रा को समेटती है। रावण द्वारा माता सीता का हरण और श्रीराम का हनुमान व वानर सेना के सहयोग से रावण पर विजय प्राप्त करना, इस कहानी का मुख्य बिंदु है। नौ दिन चले इस युद्ध के बाद, दशमी के दिन राम ने रावण का वध किया। रावण को पराजित करने के लिए श्रीराम ने पहले देवी दुर्गा की उपासना की थी, जिससे उन्हें शक्ति प्राप्त हुई। इस दिन को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।

माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर वध


महिषासुर एक भैंस के सिर वाला राक्षस था, जिसने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों हो सकती है। वरदान के बाद, महिषासुर ने पूरे तीनों लोकों में अत्याचार मचाया। देवताओं ने अपनी शक्तियों का संचार कर देवी दुर्गा को प्रकट किया। माँ दुर्गा ने नौ दिन तक महिषासुर से घमासान युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध कर दिया। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, और इसीलिए इस दिन माँ दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।

पांडवों की विजय


महाभारत काल की यह कथा पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ी है। कौरवों से चौपड़ के खेल में पराजित होने के बाद, पांडवों को 12 वर्ष के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास की सजा मिली। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के पेड़ में छिपा दिए थे। जब अज्ञातवास का अंतिम दिन आया, तो अर्जुन ने शमी के पेड़ से अपने हथियार निकाले और कौरवों की सेना से मुकाबला किया। विजयदशमी के दिन अर्जुन ने कौरवों की सेना को पराजित कर बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज की।

इन कहानियों से दशहरे का महत्व और भी स्पष्ट होता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी विपत्ति आए, सत्य और धर्म की राह पर चलने वाले अंततः विजयी होते हैं।

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