देवीपुर निवासी मृतक सुरेंद्र यादव पहले ट्रक चालक था। दुर्घटना में घायल होने से वह दिव्यांग हो गया था। वह प्लास्टिक की पन्नी की झोपड़ी बनाकर उसमें रहता था। रात में भोजन करने के बाद जब वह सो रहा था तभी रात में अचानक उसमें आग लग गई और उसकी जिंदा जलने से मौत हो गई।
News jungal desk: गोरखपुर जिले में चौरीचौरा थाना क्षेत्र के देवीपुर गांव में रविवार की देर रात करीब 1 बजे के आसपास देवीपुर निवासी सुरेंद्र यादव (28) पुत्र स्व. लालजी यादव की झोपड़ी में आग लगाई गई। जिस आग के लपेटे में आकर सुरेंद्र जिंदा जल गया। उसकी मौत पर उसके चाचा रामजीत व भाई योगेंद्र यादव का आरोप है कि प्रधान व उसके परिवार ने ही जिंदा जलाकर मार डाला।
घटना की सूचना मिलने पर देर रात में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सूचना पर सोमवार की सुबह डीएम कृष्णा करुणेश व एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर, एसडीएम प्रशांत वर्मा, एसपी नार्थ मनोज कुमार अवस्थी व एएसपी मानुष पारीक व भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच कर निरीक्षण किया।
अधिकारियों ने परिजनों से भी बातचीत किया और लोगों के बयान को दर्ज किया गया । पुलिस ने महिला ग्राम प्रधान प्रिया देवी, उसके पति वीरेंद्र व दो भसुर लालबचन व सुरेंद्र पासवान व आरोप लगाने वाले पक्ष को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, उनसे पूछताछ जारी है।
मामला यह है कि तहसील प्रशासन की टीम ने लगभग डेढ़ दो वर्ष पूर्व भूमि की पैमाइश किया था। जिसमें भूमि सुरक्षित किया गया था। उस भूमि पर जल जीवन मिशन के तहत सोमवार को ही ग्राम प्रधान द्वारा पानी की टंकी का भूमि पूजन किया जाना था। उसी भूमि के पास मृतक सुरेंद्र यादव का कब्जा था।
भूमि की पैमाइश के दौरान ही लेखपाल से मृतक के चाचा रामजीत यादव आदि से काफी विवाद और मारपीट हुआ था। सरकारी भूमि पर रामजीत यादव, सुरेंद्र यादव आदि कब्जा था। इसी को लेकर ग्राम प्रधान व कब्जाधारकों के बीच मे विवाद भी चल रहा था। उसी विवाद में घटना बताया जा रहा है।
मौके पर पहुंचे अधिकारियों से ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान को फंसाने की बात कही। ग्रामीणों के मुताबिक किसी दूसरे ने झोपड़ी जलाकर हत्या किया और ग्राम प्रधान पर आरोप लगाया जा रहा है। पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है।
प्लास्टिक की झोपड़ी में रहता था मृतक
मृतक सुरेंद्र यादव पहले ट्रक चालक था। वह अविवाहित था। दुर्घटना में घायल होने से वह दिव्यांग हो गया था और ट्राई साइकिल से चलता था। वह सड़क के किनारे प्लास्टिक की पन्नी का झोपड़ी बनाकर उसमें रहता था। रात में भोजन करने के बाद सोया था। रात में अचानक उसमें आग लग गई और उसकी जिंदा जलने से मौत हो गई।
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