Economic Survey 2024 : आर्थिक सर्वे के अनुसार लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के लिए योग्य माने जाते हैं। दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है कि कॉलेज पास करने का बाद भी लगभग दो में से एक युवा अब भी रोजगार के योग्य नहीं है। हालांकि, यह ध्यान देना चाहिए कि पिछले दशक में स्किल्ड युवाओं का प्रतिशत लगभग 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत (Economic Survey 2024 Live Updates) हो गया है।
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आर्थिक सर्वे (Economic Survey) के अनुसार भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या का 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र का है, लेकिन उनमे से कई लोगों के पास आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल नहीं है। अनुमान बताते हैं कि लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य माने जाते हैं।
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कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने बताया कि “भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर एनएसएसओ, 2011-12 (68वें दौर) की रिपोर्ट के अनुसार, 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में लगभग 2.2 प्रतिशत ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वहीं, 8.6 प्रतिशत ने गैर-औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
2030 तक गैर कृषि क्षेत्र में सालाना 78.5 लाख रोजगार सृजन की जरूरत (Economic Survey 2024-25)
आर्थिक सर्वे के अनुसार देश में बढ़ते मानव संसाधन को काम मुहैया कराने के लिए गैर कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना 78.5 लाख रोजगार सृजन करने की जरूरत है। सर्वे (Economic Survey 2024 Live Updates) में कहा गया है कि कामकाज की उम्र का हर व्यक्ति नौकरी ही नहीं करेगा। उनमें से कुछ स्वरोजगार भी करेंगे और कुछ लोग नियोक्ता भी बनेंगे।
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सर्वे में कहा गया है कि देश का आर्थिक विकास नौकरियों से ज्यादा लोगों को आजीविका मुहैया कराने के लिए महत्वपूर्ण है। सभी स्तर के सरकारों और निजी क्षेत्र को भी इस में योगदान देना होगा। आर्थिक सर्वे के अनुसार कृषि क्षेत्र का श्रम बल जो 2023 में 45.8% है वह 2047 तक धीरे-धीरे घटकर 25% पर पहुंच सकता है।
इसलिए 2030 तक सरकार को गैर कृषि क्षेत्र में सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार मुहैया कराने होंगे। सर्वे के अनुसार 78.5 रोजगार सृजन (Indian economy review) का लक्ष्य पीएलआई (5 साल में 60 लाख रोजगार), मित्र टेक्सटाइल स्कीम (20 लाख रोजगार) और मुद्रा योजनाओं के क्रियान्वयन से हासिल किए जा सकते हैं।
वार्षिक रिपोर्ट में देश में कौशल और उद्यमिता परिदृश्य में चुनौतियों का जिक्र किया गया है, ये हैं (Indian Economic Survey 2024) :
- सार्वजनिक धारणा है कि कौशल को अंतिम विकल्प के रूप में देखा जाता है, इसे बेरोजगार लोगों के लिए जरूरी माना जाता है।
- (ii) केंद्र सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम अभिसरण 20 से अधिक मंत्रालयों/विभागों में फैले हुए हैं। पर वहां मजबूत समन्वय और निगरानी तंत्र का अभाव है
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- प्रशिक्षकों की कमी है, उद्योग पेशेवरों को आकर्षित करने में असमर्थत रहता हैं।
- (v) क्षेत्रीय और स्थानिक स्तरों पर मांग और आपूर्ति के बीच मेल नहीं है।