कानपुर। चुनावी माहौल में पूरे शहर में बस एक ही चर्चा है कि कानपुर से प्रत्याशी कौन ? चाहे वह सुबह-सबेरे की चाय की चुस्कियों के बीच मॉर्निंग वाकर्स के अड्डे हों या फिर पार्कों में रोज लगने वाली सुबह-शाम की जमघट। भाजपा से संभावित प्रत्याशियों के नाम को लेकर चख-चख हो या फिर यह कयास लगाए जा रहे हों कि कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पूर्व विधायक अजय कपूर के जाने के बाद सपा-कांग्रेस गठबंधन से कांग्रेस की टिकट लेकर कौन कानपुर लौटेगा ?
कानपुर-बुंदेलखंड की दस में नौ लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने और कानपुर को होल्ड पर रखने के निर्णय के दूसरे दिन ही सांसद सत्यदेव पचौरी दिल्ली में डेरा डाले हैं। तो दूसरी तरफ कांग्रेस ब्राह्मण नेताओं में बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ नेता नरेश चंद्र त्रिपाठी एडवोकेट और शिक्षाविद कल्यानपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी आलोक मिश्रा और गैर ब्राह्मण पवन गुप्ता दिल्ली में डटे हैं। ये नेता टिकट घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं। टिकट की घोषणा गुरुवार या शुक्रवार तक किए जाने की खबर है। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं और दावेदारों के समर्थकों के साथ ही आम लोगों की नजर भी टिकट पर है।
कानपुर संसदीय सीट से भाजपा में टिकट दावेदार कतारबद्ध होकर दिल्ली में डट गए हैं। प्रत्याशियों की पहली सूची में 51 नाम घोषित करने के बाद यूपी की बाकी कानपुर समेत 24 सीटों पर प्रत्याशी रो नाम पर फैसला गुरुवार तक होने की संभावना है। पांच सीटे एनडीए के घटक दलों को दी गयी हैं। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की दस में से नौ सीटों पर प्रत्याशी रिपीट करने औक कानपुर को होल्ड पर रखने को लेकर एक सस्पेंस सा बना हुआ है। पहली सूची में सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम न होने से भौंचक पचौरी दिल्ली दरबार में चिमटा गाड़े बैठ गए हैं। वह एक बार सीधे लखनऊ आए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मिलकर वापस दिल्ली लौट गए। हालांकि पचौरी नमोएप एक्टीविटीज, प्रत्याशिता को लेकर आंतरिक सर्वेक्षण के मानक में खरे हैं पर उम्र के कारण अब उन्हें भी लगता है कि उनका टिकट काटा भी जा सकता है। हालांकि फिर भी वह टिकट की उम्मीद बांधे हैं, लेकिन बाकी दावेदारों की सक्रियता के कारण वह थोड़ा सुस्त से दिखने लगे। छात्र राजनीति में सक्रिय रहे पचौरी वीएसएसडी कालेज छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जीते तो शपथ समारोह में अटल बिहारी वाजपेयी को बुलाकर शहर को दिखा दिया कि वह भविष्य के नेता हैं। 1991 में आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। पर 1993 में हार गए। 2012 में वह गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र जीतकर विधानसभा पहुंचे। बाद 2017 में फिर जीते और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बने और मोदी की टीम में शामिल हुए। उम्र के कारण वह रोके जा सकते हैं। आठ बार के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का नाम भी गंभीरता से लिया जा रहा है। ब्राह्मण दावेदारों में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक व दिनेश शर्मा का नाम चर्चा में है। बसपा में राज्यसभा व लोकसभा सदस्य रहे पाठक भाजपा में शामिल होने के बाद 2017 से विधायक हंउ दोनों बार से वह कैबिनेट मंत्री हैं। हाल ही में भाजपा में शामिल हुए तीन बार के विधायक अजय कपूर भी चर्चा में हैं। महिलाओं में शिक्षाविद नीतू सिंह और लोकसंस्कृति की गायिका मालिनी अवस्थी के नाम की चर्चा है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन में टिकट के दावेदारों में यूं तो कई हैं पर प्रमुख रूप से आलोक मिश्रा, नरेश चंद्र त्रिपाठी, पवन गुप्ता का नाम चर्चा में हैं। गठबंधन प्रत्याशी का नाम भी गुरुवार या शुक्रवार तक फाइनल किया जा सकता है। मदन मोहन शुक्ला, हरप्रकाश अग्निहोत्री, शरद मिश्रा का भी नाम हैं परआलोक और नरेश की दिल्ली दौड़ रंग ला सकती है। भाजपा से अगर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा गया तो पवन गुप्ता को लगता है कि उनका टिकट पक्का हो सकता है। समीकरण उनके पक्ष में हैं। 2012 के मेयर चुनाव में वैश्यों का खासा वोट पाकर भाजपा के मुकाबले करीबी लड़ाई में आए थे पवन गुप्ता का यही आधार है कि कानपुर का ढाई लाख वैश्य का उन्हें समर्थन मिल सकता है। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी एडवोकेट तेजतर्रार नेता माने जाते हैं। वह स्वतंत्रा सेनानी परिवार से आते हैं। शिक्षाविद आलोक मिश्रा दो बार कल्यानपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रह चुके हैं। दोनों बार उन्हें भाजपा से शिकस्त मिली।