धार के एक छोटे से गांव खुटपला में सास ससुर ने अनूठी मिसाल पेश की. अपने बेटे की मौत के बाद उन्होंने बहू का फिर से नया घर संसार बसा दिया. हीरालाल के 30 वर्षीय बेटे सुनील की दो साल पहले मौत हो गई थी. उसके बाद से ही परिवार में मातम पसरा हुआ था और पूरा परिवार गम में डूबा हुआ था. जवान बेटे की मौत से पूरे परिवार के हाल बेहाल हो चुके थे और सबसे ज्यादा धक्का सुनील की पत्नि सीमा को लगा ।
. News jungal desk : धार के एक छोटे से गांव खुटपला में सास ससुर ने अनूठी मिसाल पेश करी । अपने बेटे की मौत के बाद उन्होंने बहू का फिर से नया घर संसार बसा दिया. हीरालाल के 30 वर्षीय बेटे सुनील की दो साल पहले मौत हो गई थी । उसके बाद से ही परिवार में मातम पसरा हुआ था और पूरा परिवार गम में डूबा हुआ था । जवान बेटे की मौत से पूरे परिवार के हाल बेहाल हो चुके थे और सबसे ज्यादा धक्का सुनील की पत्नि सीमा को लगा है ।
ससुर ने बसाया बहू का नया संसार
समय के पहिये ने सुनील के दूर जाने के घाव पर मल्हम फेरी और परिवार उससे उबरने की कोशिश करने लगा । फिर एक दिन सीमा के ससुर ने बहू से दूसरा विवाह करने की इच्छा पूछी है । पहले तो सीमा ने मना कर दिया. बाद में परिवार के समझाने पर वो दूसरे विवाह के लिये तैयार हो गई है । ससुरालवालों ने लड़का ढूंढ़ना शुरू किया और जल्द ही उन्हें बडवानी में अपनी बहू सीमा के लिए एक योग्य लड़का मिल गया है । तलवाडा में रहने वाले नैमीचंद से सीमा का विवाह तय कर दिया गया है ।
सास ससुर बने माता पिता , जेठ जेठानी बने भाई भाभी
शादी की तारीख तय हुई और सास ससुर ने अपनी बहू का कन्यादान करने का फैसला किया. वो माता पिता बने और जेठ जेठानी ने भाई भाभी की जिम्मेदारी संभाली. हीरालाल ने अपनी बहू सीमा का विवाह उज्जैन के चिंतामण गणपति मंदिर में किया. घराती बाराती की मौजूदगी में सीमा और नेमीचंद की शादी हुई. इस दौरान सीमा के ससुर हीरालाल पिता बने और सास घणीबाई मां बनीं. सीमा का जेठ बाबूलाल और जेठानी ममता सीमा के भाई भाभी बने और सभी ने मिलकर सीमा का कन्यादान किया है ।
ऐसे समधी पाकर हम धन्य हुए
सीमा के पिता कैलाश, माता गीताबाई और भाई शुभम भी सीमा की दूसरी शादी से खुश हैं. उनका कहना है ऐसे समधी पाकर वे धन्य हो गये. समाज के अन्य लोगों ने भी हीरालाल की पहल की सराहना की. इस अवसर पर टांडाखेडा के समाजसेवी कांतिलाल टांक ने कहा समय के साथ सामाजिक प्रथाओं- रूढियों में बदलाव जरूरी है. मारू कुमावत के रमेश पटेल ने कहा इस साहसिक कार्य से समाज में एक नई पंरपरा कायम करने के लिये इन्हें याद किया जाएगा. ससुर द्वारा अपनी बहू का कन्यादान करने की खबर मारु समाज में फैलते ही सबने उनकी प्रशंसा की ।
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