जब गरीब घर से निकला शख्स, कठिनाइयों से लड़कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करता है, तो उसकी कामयाबी के मायने और भी अहम हो जाते हैं.
News jungal desk :– यूपीएससी या स्टेट पीसीएस जैसी परीक्षाएं Exams कोई भी क्लियर करता है, तो यह अपने आप में एक बड़ी सफलता होती है, क्योंकि इन परीक्षाओं को क्लियर करना आसान काम नहीं है. लेकिन जब गरीब घर से निकला शख्स, कठिनाइयों से लड़कर ऐसी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करता है, तो उसकी कामयाबी के मायने और भी अहम हो जाते हैं. बिहार के छोटे से गांव से निकले राहुल कुमार ने भी बीपीएससी परीक्षा पास कर यही मिसाल पेश की है.
राहुल औरंगाबाद के कर्मा भगवान गांव के रहने वाले हैं. वह बेहद ही साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता सैलून चलाते थे, लेकिन कोविड में सैलून बंद करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने दूसरे के सैलून में काम करना शुरू कर दिया. राहुल के पिता ने बड़ी मुश्किलों से परिवार को पाला, लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी.
शुरू में नहीं मिली सफलता
राहुल को शुरूआती 3 प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली पाई, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा और प्रयास जारी रहा आखिरकार चौथे प्रयास में बीपीएससी 67वीं परीक्षा में उन्हें सफलता मिल ही गई. उन्होंने 100 के अंदर रैंक प्राप्त की है और अब पिछड़ा- अति पिछड़ा कल्याण पदाधिकारी बनेंगे. राहुल एक मीडिया इंटरव्यू में बताते हैं कि बीपीएससी इंटरव्यू देने जाने के समय उनके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं थे, तो उन्होंने गांव के ही एक शख्स से पैसे उधार लेकर कोट पैंट सिलवाए.
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