उपासना का कहना है कि वह अब बड़ी होकर एक अच्छी प्लेयर बनना चाहते हैं लेकिन परिवार में पिता की आमदनी अच्छी न होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
News jungal Desk :- हौसले अगर बुलंद हो तो एक दिन कामयाबी मिली ही जाती है । और ना कोई कोच की ट्रेनिंग ना अच्छी सुविधा लेकिन फिर भी कुश्ती का ऐसा जज्बा के हर कोई देख कर दंग रह गया और जीतने के बाद तालियां बजाने लगा था । यह कहानी है फिरोजाबाद के एक छोटे से गरीब परिवार में रहने वाली 15 साल की उपासना की जिसने सरकारी विद्यालय में पढ़कर कुश्ती लड़ना सीख लिया और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपनी जीत दर्ज की है । इसके बाद बच्ची का काफी दूर-दूर तक नाम रोशन हो गया था । आज वह बच्ची अपने सपनों को साकार करना चाहती है ।
फिरोजाबाद के गांव डोकली में रहने वाली 15 साल की उपासना ने बताया कि वह एक सरकारी विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ती है । और वह 2 साल से कुश्ती लड़ रही है । और उसके पिता मजदूरी करके घर का पालन पोषण करते हैं । वहीं उसने कुश्ती लड़ना स्कूल में ही अपनी मैडम से सीखा है। जहां वह बच्चों के साथ कुश्ती लड़ा करती थी लेकिन उसका जज्बा और कुश्ती के दाव पेच ऐसे थे कि हर कोई देखकर दंग रह जाता था । और जिसके चलते स्कूल की टीचर उसे कई पात्रता में लेकर गई है । जहां उसने जीत का परचम लहरा दिया मैनपुरी से लेकर लखनऊ तक उपासना ने कुश्ती में सभी को चित कर दिया है ।
बच्ची ने नहीं ली कोई ट्रेनिंग
उपासना का कहना है कि वह अब बड़ी होकर एक अच्छी प्लेयर बनना चाहते हैं लेकिन परिवार में पिता की आमदनी अच्छी न होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
मां-बाप का मिल रहा सहयोग
उपासना की मां रेशम देवी का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी बच्ची कुश्ती में इतनी अच्छी है । और उनकी क्लास की मैडम ने उन्हें जब इस बात के बारे में बताया तो उन्होंने अपनी बच्ची को प्रतियोगिता के लिए भेज दिया. जहां वह जीत कर लौटी तो उन्हें बहुत खुशी हुई और अब वह भी अपनी बच्ची को आगे बढ़ते हुए देखना चाहती हैं ।
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