बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री केजे अल्फोस । डीएम के हत्या से आहत है अल्फोस ।
News Jungal Desk : बिहार के नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ बीजेपी के पूर्व मंत्री केजी अल्फोस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये है ।आनंद मोहन को गोपालगंज के डीएम कृष्णैया की 1994 में हत्या के मामले में 13 साल बाद 2007 में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी । आनंन की अपील पर पटना हाईकोर्ट ने 2008 में फांसी की सजा सुनाई थी । आनंद मोहन इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गये ।लेकिन कोई राहत नही मिली । और 2012 में उच्चतम न्यायालय ने अपील खारिज कर दी। अब एक बार फिर आनंद मोहन Anand Mohan के भाग्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा जिससे ये तय होगा कि उनकी रिहाई ठीक है या वो वापस जेल भेजे जाएंगे और जेल जाएंगे तो 2027 में रिहा होंगे या आजीवन जेल में ही रहेंगे। 1995 में लालू यादव को हराने के लिए लड़ी आनंद मोहन की बिपीपा लेकिन लालू को ही जिता बैठी, कैसे? आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को जब दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई चल रही थी तो पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस ने कोर्ट में खुद पेश होकर कहा कि वो बिहार सरकार के फैसले से आहत हैं और इस मामले में रिहाई के खिलाफ पार्टी बनना चाहते हैं। कोर्ट ने अल्फोंस को अगली तारीख पर मामले की सुनवाई में सहयोग करने की इजाजत दे दी है। अल्फोंस पेशे से वकील भी हैं और केरल हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ते हैं।नरेंद्र मोदी सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं केजे अल्फोंस, वकालत भी करते हैं ।केजे अल्फोंस केरल के वरिष्ठ भाजपा नेता हैं और नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं। आईएएस अधिकारी अल्फोंस दिल्ली Delhi में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कमिश्नर के तौर काफी चर्चित रहे। उन्होंने 10 हजार करोड़ की सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया था और अवैध निर्माण की वजह से 14 हजार से अधिक मकान को गिराने का आदेश दिया था। आनंद मोहन को जिंदा जेल से बाहर नहीं आना चाहिए था, सुप्रीम कोर्ट में जी कृष्णैया की बीवी की दलील । अल्फोंस ने राजनीति में उतरने के लिए 2006 में इस्तीफा दे दिया और केरल में लेफ्ट पार्टियों के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2011 में विधानसभा से इस्तीफा देकर अल्फोंस बीजेपी में शामिल हो गए और तब से बीजेपी के साथ हैं। 2019 में बीजेपी ने अल्फोंस को एर्नाकुलम सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाया था लेकिन वो तीसरे नंबर पर रहे ।आनंद मोहन से दूरी बना रहे हैं बीजेपी नेता, मंच पर देखकर नीचे से लौट गए सांसद-विधायक ।आनंद मोहन को बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने जेल मैनुअल का एक नियम बदलकर समय से पहले रिहा कर दिया है। उस नियम में सरकारी सेवक की हत्या के दोषियों को सजा पूरी करने से पहले रिहा नहीं करने का प्रावधान था। नियम में इस बदलाव का फायदा आनंद मोहन समेत 27 लोगों को मिला लेकिन चर्चा में आनंद मोहन ही हैं। सुर्खियों में रहना आनंद मोहन को बहुत पसंद था लेकिन रिहाई पर विवाद के बाद वो बच-बचाके, छुप-छुपाके चल रहे हैं। जहां आनंद मोहन, वहां भाजपा नहीं; मंच के नीचे से लौटे BJP के MP-MLA, राजपूतों के कार्यक्रम में दिखी कड़वाहट आनंद मोहन की रिहाई से पहले बीजेपी के कुछ नेता उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे लेकिन रिहाई के बाद काफी नेताओं ने रिहाई का विरोध शुरू कर दिया। बीजेपी नेताओं की आनंद मोहन से दूरी अब इतनी बढ़ चुकी है कि अररिया में एक कार्यक्रम में आनंद मोहन को देखकर बीजेपी के सांसद और विधायक मंच के नीचे से चले गए। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन का यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था जिसे क्षत्रिय समाज ने फारबिसगंज में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के अनवारण के लिए आयोजित किया था।
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