पूर्व आईपीएस अफसर एवं यूपी एसटीएफ के गठन के मुख्य अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि इस हत्याकांड के पीछे चांद बाबा, जो अतीक अहमद के गुरु थे, उनको रास्ते से हटाने का काम अतीक अहमद ने किया था, उनके समर्थक हो सकते हैं या फिर बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल या फिर उमेश पाल के समर्थक भी हो सकते हैं ।
News Jungal Desk: माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को शनिवार देर रात उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सरेआम गोलियों से भून डाला गया है । इन दोनों की हत्या सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य नाम की तीन युवकों ने की है. लेकिन, क्या यह तीनों युवक सिर्फ मुखौटे हैं, इनके पीछे असली चेहरा किसी और का छुपा हुआ है । इस पर पूर्व आईपीएस और यूपी एसटीएफ के गठन के वक्त के मुख्य अधिकारी राजेश पांडेय ने विस्तार से बातचीत की..
मुख्य अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि इस हत्याकांड के पीछे चांद बाबा, जो अतीक अहमद के गुरु थे । उनको रास्ते से हटाने का काम अतीक अहमद ने किया था । और उनके समर्थक हो सकते हैं या फिर बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल या फिर उमेश पाल के समर्थक भी हो सकते हैं ।
राजेश पांडेय ने बताया कि वर्ष 1989 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से अतीक अहमद ने विधानसभा चुनाव का पर्चा भरा था । लेकिन उसके सामने चांद बाबा था । चांद बाबा और अतीक में कई बार गैंगवार हो चुका था । और चांद बाबा को अतीक अहमद का गुरु बताया जाता है । कहते हैं कि उन्होंने ही अतीक अहमद को बढ़ावा दिया था । चांद बाबा भी उस वक्त का सबसे बड़ा गुंडा माना जाता था. अपराध जगत में अतीक का बढ़ता दबदबा चांद बाबा को अखरने लगा था । और फिर सीधे इलेक्शन काउंटिंग वाले दिन, जब अतीक अपने गुर्गों के साथ रोशनबाग में चाय की टपरी पर बैठा था । तो चांद बाबा अपने गुर्गों के साथ वहां आ गया है । दोनों के बीच जबरदस्त गैंगवार हुआ जिसमें चांद बाबा की मौत हो गई थी । इससे पहले कि प्रशासन चांद बाबा की हत्या पर कोई एक्शन लेता, चुनाव के नतीजे आ गए है । अतीक अहमद चुनाव जीत कर विधायक चुन लिया गया था ।
एक बड़ी दुश्मनी यह भी थी
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बताया कि 25 जनवरी, 2005 को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस केस में अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ समेत पांच आरोपी नामजद थे. जबकि, चार अज्ञात को आरोपी बनाया था. इस केस में राजू पाल का रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था. 11 आरोपियों में से अतीक अहमद और अशरफ समेत तीन की मौत हो चुकी है. जबकि, सात आरोपियों पर आरोप तय हुए हैं.
राजेश पांडेय ने बताया कि राजू पाल के समर्थकों में उस वक्त काफी गुस्सा था, हो सकता है कि राजू पाल के ही समर्थकों ने इस पूरी वारदात को अंजाम दिया हो. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे नाम खुलेंगे. यही नहीं, उमेश पाल के भी समर्थकों की संख्या कुछ कम नहीं थी. उमेश पाल भी पैसे, सत्ता और रुतबे से बड़ा आदमी था. ऐसे में उसके किसी भी समर्थक की ओर से इस पूरी वारदात को अंजाम दिया गया होगा, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है ।
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