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17 से 20 नवंबर तक पूरा विश्व लगाएगा इस महापर्व में आस्था की डुबकी, हर जगह सुनाई देगी मधुर धुनि

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आगाज 17 नवंबर से होने जा रहा है. बता दें कि छठ महापर्व सिर्फ बिहार और अपने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी धूमधाम और सात्विकता के साथ मनाया जाता है. 

News jungal desk: आस्था का महापर्व छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होने जा रही है. बता दें कि छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू किया जाता है , जो पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पारन के साथ संपन्न किया जाता है.

नहाए खाए से शुरू होने वाला छठ महापर्व चार दिन तक चलता है. इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है. छठ पूजा के नहाय खाय के दिन व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन vegetarian food ग्रहण करते हैं.

नहाए खाए के बाद खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. जो इस साल 18 नवंबर को है. खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इसलिए इस दिन गु़ड़ से बने चावल की खीर खाई जाती है. इसे मिट्ठी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से पकाने की प्रथा है.

इसके बाद छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन आता है. इस दिन भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जायेगा .

इस दिन कई प्रकार के फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू मिठाई आदि पकवानों को सूप में सजाया जाता है उसके बाद सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है . इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है.

घाट पर छठ व्रती एक-दूसरे को सिंदूर भी लगाती हैं. ऐसी मान्यता है कि संतान सुख के साथ इस व्रत से अखंड सौभागवती और सुहागन रहने का वरदान भी प्राप्त होता है.

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है. इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

पिछले साल की भांति इस साल भी छठ पूजा पर गंगा घाटों पर आस्था की भीड़ उमड़ेगी. इसे लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है.

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