प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत…

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की वायनाड लोकसभा सीट पर एक बड़ी बढ़त बनाते हुए आगे बढ़ रही हैं। इससे पहले, उनके भाई राहुल गांधी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। राहुल और प्रियंका से पहले उनकी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी भी दक्षिण भारत की सीटों से चुनाव लड़ चुकी हैं। इंदिरा गांधी ने पहली बार 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ा था।

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

उपचुनाव परिणाम और प्रियंका का चुनावी अनुभव

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज सामने आए हैं, जिनमें प्रियंका गांधी की बड़ी जीत की संभावनाएँ उजागर हो रही हैं। राहुल गांधी के इस सीट को छोड़ने के बाद, प्रियंका चुनावी मैदान में उतरी हैं। अपने लगभग साढ़े तीन दशकों के राजनीतिक अनुभव के बावजूद, प्रियंका पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रख रही हैं। उनके दादा-दादी इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी भी दक्षिण भारत से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत पर नेहरू-गांधी परिवार का दक्षिण से जुड़ाव

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

1977 के आम चुनाव के बाद, जब देश में कांग्रेस विरोधी लहर चली, इंदिरा गांधी को रायबरेली से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, उन्होंने संसद में फिर से प्रवेश करने के लिए दक्षिण की ओर रुख किया। 1978 में, उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ने का निर्णय लिया। इस उपचुनाव में, तत्कालीन कांग्रेस सांसद डीबी चंद्रे गौड़ा ने अपनी सीट से इस्तीफा देकर इंदिरा का समर्थन किया। इंदिरा ने जनता पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र पाटिल को लगभग 80,000 मतों से हराकर जीत हासिल की।

इंदिरा गांधी की सफलताएँ

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

1980 के लोकसभा चुनावों में, इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली के साथ आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से भी चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर शानदार जीत हासिल की। उन्होंने मेडक में जनता पार्टी के एस. जयपाल रेड्डी को 2.10 लाख मतों के अंतर से हराया। इसके बाद इंदिरा ने रायबरेली से इस्तीफा देकर मेडक की प्रतिनिधि बनीं और प्रधानमंत्री बनीं।

सोनिया गांधी का चुनावी सफर

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

1999 में, इंदिरा गांधी की बहू सोनिया गांधी ने पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं। उन्होंने अमेठी के साथ-साथ कर्नाटक की बेल्लारी सीट से भी चुनाव लड़ा। सोनिया ने भाजपा की सुषमा स्वराज को 56,000 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की, लेकिन बाद में उन्होंने बेल्लारी सीट से इस्तीफा देकर अमेठी को बरकरार रखा।

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राहुल गांधी की दोहरी चुनौती

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में, राहुल गांधी ने अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने यहां बड़ी जीत दर्ज की, लेकिन अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, 2024 में राहुल ने रायबरेली और वायनाड से चुनाव लड़ा, जहां से उन्होंने रायबरेली को बरकरार रखा और वायनाड से इस्तीफा दे दिया।

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प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत का उदय

प्रियंका गांधी की वायनाड में चुनावी जीत

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें प्रियंका गांधी ने भाग लिया। इस प्रकार, प्रियंका ने दक्षिण से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका मुकाबला भाकपा के सत्यन मोकेरी और भाजपा की नव्या हरिदास से है। सत्यन मोकेरी ने 1987 से 2001 तक केरल विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया, जबकि नव्या हरिदास दो बार कोझिकोड नगर निगम की पार्षद रह चुकी हैं और भाजपा की महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं।

प्रियंका गांधी का यह चुनावी सफर नेहरू-गांधी परिवार की दक्षिण भारत में राजनीतिक उपस्थिति को फिर से स्थापित करता है और यह दर्शाता है कि यह परिवार दक्षिण भारत में अपनी प्रभावशीलता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

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