Mahatma Gandhi Jayanti 2024: मोहनदास करमचंद गांधी को देश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। हर साल 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी को महात्मा और बापू कह कर पुकारा जाता है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, जिन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे इंग्लैंड गए, लेकिन जल्द ही भारत लौट आए। फिर दक्षिण अफ्रीका में जाकर उन्होंने अप्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता धार्मिक और सादा जीवन जीने वाली महिला थीं, जिनका गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। बाद में वे लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई करने लगे। 1891 में बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त कर भारत लौटे। कुछ समय भारत में वकालत की, फिर 1893 में एक कानूनी मामले के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्होंने नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जिसने उन्हें सामाजिक अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया।
गांधीजी के आजादी के आंदोलन
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता के लिए कई बड़े आंदोलन किए, जैसे सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और डांडी यात्रा। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा का सिद्धांत अपनाया और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए भी प्रयास किए।
स्वतंत्रता के बाद
स्वतंत्रता के बाद भी गांधीजी ने सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया। वे देश में शांति और सौहार्द बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उन्होंने लोगों को सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
सादगी और सच्चाई का प्रतीक
गांधीजी ने हमेशा सादगी भरा जीवन जिया। उनका मानना था कि सादगी ही असली सौंदर्य है। वे एक धोती पहनकर पदयात्रा करते और आश्रम में रहते थे। उनके इसी सादगी भरे जीवन के कारण लोग उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहने लगे।
महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा गया?
महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ का सम्मान सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। उन्होंने गांधीजी को यह उपाधि इसलिए दी, क्योंकि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और उन्होंने देश को एकजुट किया था। तब से उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में सम्मानित किया जाता है।
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