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बेजुबानों से दर्द का रिश्ता

महेश शर्मा
पूरे 16 साल तक परिवार का हिस्सा रही गुन्नू का अचानक जाना किसी वभी परिवार के लिए पहाड़ टूट पड़ने के बराबर है, खासकर तब जब गुन्नू की पारिवारिक आजादी में कोई रोक-टोक कभी नहीं रही। पापाजी की कार का हार्न पहचानकर दरवाजे तक पूंछ हिलाते हुए आना भौंकते हुई कभी बाहर तो कभी भीतर जाना, छोटे-छोटे पैरों से उछलकर पापाजी की पतलून के सपोर्ट पर उछलना और फिर धीरे-धीरे शांत होकर पापाजी की गोद में बैठ जाना। एक दिन पापाजी ने अपनी जीवन यात्रा पूरी करते हुए विदा ले ली। बेजुबान गु्न्नू को बहुत दुख हुआ। ऐसा सबने महसूस किया। सबके साथ वह भी दुखी लग रही थी। गुमशुम सी पूरे परिवार के दुख में शरीक थी। बाद में नार्मल हुई। यही तो है इंसानी मुहब्बत। जो गुन्नू समझती थी। प्यार के बदले प्यार। जहां प्यार है तो वहां अपनापा भी स्वाभाविक है। शायद इसीलिए वफादारी का दूसरा नाम पेट डॉग कहा जाता है।

सही है कि प्यार धरती पर महसूस करने वाली सबसे खूबसूरत चीज है। पालतू जीवों के व्यवहार में ये साफ नजर आती है। इंसान और जानवरों के बीच प्यार की बात हो तो सबसे पहले पेट डॉग की एक इमेज खुद-ब-दुख मस्तिष्क पटल पर उभरकर आ जाती है।
ग्रेटर नोएडा में ऐसा ही मेरी बेटी सौम्या का परिवार है। उनकी पेट डॉग का नाम गुन्नू था। उसके ठाठ-बाट परिवार के सदस्य से कम न थे। खाने के बरतन, बिस्तर, कपड़े सब थे उसके पास। आज गुन्नू जीवन की यात्रा पूरी करके बहुत दूर जा चुकी है। लंबी बीमारी से जूझने वाली गुन्नू को घर वालों ने बचाने कोई जतन काम न आया। पशु चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसे तो जाना ही था फिर दुख कैसा? लेकिन परिवार में मातम छाया हुआ है। यही तो होता है दर्द का रिश्ता। बीते एक साल से भी ज्यादा समय तक गुन्नू बीमार थी। आए दिन उसे अस्पताल ले जाया जाता था। उसकी सेवा टहल में चाहे आलोक हों या सौम्या या फिर अनीता दीदी। जी जान से जुटे रहते थे। मेरे पहुंचने पर जब वह भौंकती थी तो जैसे ही परिवार का कोई सदस्य बोलता था, गु्न्नू, ही इज अवर गेस्ट, तो यह सुनते ही वह दुलराने लगती थी। खुश होकर घर में ही इधर-उधर भागती थी। परिवार के लोगों ने उसे सदस्य की तरह रखा। तभी पूरा परिवार गमजदा है। घर का हर कोना गुन्नू की उछलकूद से खुशहाल सा महसूस रहता था। पर वही आज घर भी वीराना और बेगाना सा लग रहा है। पर गुन्नू तो कहीं नहीं गयी, वह तो हमारी यादों में है। बेजुबानों के लिए ऐसी ही हमदर्दी और यदि उनसे दर्द का रिश्ता बनता है तो यही गु्न्नू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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