कैसे चलते है टैक्स-फ्री देशों की सरकार, सड़क-अस्पतालों के लिए कहां से आते हैं पैसे?

न्यूज जंगल डेस्क :- बजट के बाद से लगातार टैक्स पर बात हो रही है. New income tax slabs में मिडिल इनकम परिवारों पर खास फोकस है. सालाना 7 लाख रुपए की आमदनी पर टैक्स-फ्री होगी वैसे दुनिया में बहुत से देश ऐसे भी हैं, जिन्हें टैक्स-हैवन कहा जाता है. यहां के रहने वाले नागरिक चाहे जितना कमाएं, कोई आयकर नहीं देना होता.

टैक्सेशन किसी भी देश के लिए रेवेन्यू उत्पन्न करने में सबसे अहम है. एक निश्चित आय के बाद उससे ज्यादा हर कमाने वाले व्यक्ति को टैक्स भरना होता है. सरकार तक पहुंचे ये पैसे सरकारी स्कीम्स में ही लगते हैं. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर भी शामिल है- जैसे सड़कें, पुल, बांध बनना. हेल्थकेयर healthcare और एजुकेशन भी शामिल है ।

मोटा-मोटा टैक्स दो हिस्सों में बांटा जाता है.Direct and Indirect Taxes. डायरेक्ट टैक्स वो है, जो सीधे लिया जाता है. इनकम टैक्स, शेयर या किसी प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स डायरेक्ट टैक्स के उदाहरण हैं. वहीं इनडायरेक्ट टैक्स सीधे तो नहीं जाता है लेकिन किसी तरह की सर्विस या खरीदी पर ये टैक्स लगया जाता है.

इन देशों में नहीं लगता टैक्स
अब बारी आती है उन देशों की,जो टैक्स-फ्री हैं, या जहां बहुत टैक्स कम कर लग रहा है. लगभग दर्जनभर देश ही ऐसे हैं. इनमें तेल-निर्यातक देश सबसे ऊपर हैं. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का नाम इसमें सबसे ऊपर है. यहां के लोगों को कोई टैक्स नहीं देना होता,लेकिन तब भी यहां विकास में कोई कमी नहीं. इसकी वजह है यहां तेल का अकूत भंडार.

तेल और टूरिज्म से कमाई
दुनिया के सबसे बड़े तेल-निर्यातक देशों में शामिल यूएई की जीडीपी में ऑइल इंडस्ट्री से खूब कमाई होती है. इसके अलावा यहां टूरिज्म भी फल-फूल रहा है. मिडिल ईस्ट के अलावा दुनिया के लगभग सभी देशों के सैलानी यहां घूमने और खरीदारी करने आते हैं. गोल्ड पर्चेजिंग के लिए भी लोग यहां आना पसंद करते हैं, जिसकी वजह ये है कि यूएई में सोना बाकी देशों की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत सस्ता मिल जाता है. इसका भी बड़ा अमाउंट टैक्स-फ्री होता है.तो इस तरह से टूरिज्म इंडस्ट्री भी इस देश की सरकार को जमकर कमाई करवा रही है. ऐसे में नागरिकों को टैक्स भरने की जरूरत नहीं पड़ती.

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