मनुष्य के जीवन में साढ़ेसाती seven and a half अच्छा और बुरा दोनों तरह का परिणाम देती है. यदि आपके कर्म अच्छे हैं तो साढ़ेसाती में आपको तकलीफ कम होगी. वहीं यदि आपके कर्म अच्छे नहीं रहे तो साढ़ेसाती का प्रभाव भयानक भी हो सकता है. एक व्यक्ति को साढ़ेसाती कितनी बार प्रभावित कर सकती है .
ज्योतिष के अनुसार शनि देव को कर्म फल दाता माना जाता है. मनुष्य जैसे कर्म करता है उसी के अनुरूप शनिदेव उसे शुभ और अशुभ परिणाम प्रदान करते हैं. जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, उसमें मिलने वाले कष्ट और सुख भी आपके कर्मों पर ही निर्भर करते हैं. साढ़ेसाती का चक्र मनुष्य के जीवन को साढ़े सात साल तक प्रभावित करता है. वहीं, ढैय्या जातक को ढाई साल तक प्रभावित करता है.
क्या है शनि की साढ़ेसाती
ज्योतिष के अनुसार जब किसी व्यक्ति के जीवन में साढे साती लगती है तो तब शनिदेव उसके कर्मो का हिसाब करते है । शनि के साढे साती ढाई साल में तीन अंतराल में प्रभावित करती है । 1 पहले बार में आर्थिक समस्या आती है 2 दूसरे अंतराल में कार्यक्षेत्र में समस्या आती है, पारिवारिक जीवन में उतार चढाव और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती का प्रभाव एक राशि में नहीं रहता. यह एक साथ कई राशियों को प्रभावित करती रहती है.
शनिदेव जिस घर में विराजमान होते हैं वे उसके आगे और पीछे की राशि को भी प्रभावित करते हैं.
शनिदेव एक राशि में लगभग ढाई साल विराजमान होते हैं. जिसके कारण राशि चक्र की 12 राशियों में घूमने में उन्हें पूरे 30 साल का समय लगता है.
ज्योतिष गणना के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन बार साढ़ेसाती का प्रभाव अवश्य पड़ता है.
प्रत्येक व्यक्ति हर 30 साल के बाद शनि की साढ़ेसाती का परिणाम भोगता ही है.
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