केंद्र के कोविड पैनल के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि चीन के लिए यह जरूरी है कि वह किसी भी अस्पष्ट बीमारी के कारणों की तुरंत जांच करे और उसके बारे में दुनिया को जानकारी दे. कोविड-19 के प्रकोप से महत्वपूर्ण सबक को देखते हुए जरूरी है. अगर स्वतंत्र सत्यापन चीन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है, तो उसको तुरंत अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जांच करनी चाहिए. चीन में हाल ही में अस्पष्ट निमोनिया जैसी बीमारी के मामलों में तेज बढ़ोतरी के कारण अस्पतालों में भारी संख्या में मरीज भर्ती हो रहे हैं ।
News jungal desk :- चीन में हाल ही में अस्पष्ट निमोनिया जैसी बीमारी के मामलों में तेज बढ़ोतरी के कारण अस्पतालों में भारी संख्या में मरीज भर्ती हो रहे हैं । और इस हफ्ते की शुरुआत में एक ऑनलाइन मेडिकल कम्युनिटी प्रोमेड (ProMED) ने उत्तरी चीन में बच्चों में अज्ञात निमोनिया के बढ़ते सामूहिक मामलों की कई मीडिया रिपोर्टों पर गौर किया है । प्रोमेड संस्था ने ही 2019 के अंत में वुहान में फैल रही एक अज्ञात बीमारी के बारे में सवाल उठाए थे । और जो बाद में कोविड-19 बनकर दुनिया के सामने आई. दुनिया चीन में उभरती स्थिति पर करीब से नजर रख रही है, जो बिल्कुल उसी तरह सामने आ रही है जैसे कि कोविड-19 महामारी पहली बार अस्पष्ट निमोनिया जैसी बीमारी के साथ शुरू हुई थी ।
‘कोविड से मिली सीख बेकार नहीं जानी चाहिए’
दुनिया को उम्मीद है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस मामले को मजबूती से आगे बढ़ाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस प्रकोप के कारणों की तुरंत पहचान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रेरित करने के लिए आगे बढ़ेगा. अरोड़ा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को खासकर दो पहलुओं- प्रकोप से निपटना और जांच से निकलने वाले परिणामों को साझा करने के संबंध में अधिक पारदर्शिता पर जोर देना चाहिए. अरोड़ा ने कहा कि इस पोस्ट-कोविड दुनिया में हर कोई समझ गया है कि राष्ट्रीय सीमाएं अर्थहीन हैं. इसलिए अगर किसी रोगजनक में महामारी की संभावना है तो तत्काल कार्रवाई से जान बचाई जा सकती है ।
दुनिया को कोई देरी नहीं होने देनी चाहिए
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि दुनिया को यहां कोई देरी नहीं होने देनी चाहिए और मजबूत जीनोमिक निगरानी सहित सभी तीन पहलुओं- क्लीनिकल, महामारी विज्ञान और सूक्ष्मजीवविज्ञानी जांच तुरंत करनी चाहिए । और उन्होंने कहा कि भले ही चीन में ये हालात जल्द ही सुधर जाएं, भारत और अन्य देशों को अपने जीनोमिक निगरानी नेटवर्क को कभी भी खत्म नहीं करना चाहिए. जिन्हें कोविड-19 से सीख लेकर स्थापित किया गया है. दुनिया को जीनोमिक विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाना जारी रखना चाहिए और भविष्य के प्रकोपों को समय पर पकड़ने के लिए प्रकोप के दौरान लगाए गए तंत्र को मजबूत करना चाहिए ।
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