बच्चों के खान-पान में हो रहे परिवर्तन के कारण बच्चों के दांतों से जुड़ी कई समस्याएं सामने आने लगी हैं. इसके पीछे के बड़ी वजह ये हैं कि चार से आठ साल तक बच्चे ठीक से ब्रश नहीं करते हैं और खाने के बाद कुल्ला नहीं करते हैं .
बच्चों के खान-पान में हो रहे परिवर्तन के कारण बच्चों के दांतों teeth से जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती है । इसके पीछे के बड़ी वजह ये हैं कि चार से आठ साल तक बच्चे ठीक से ब्रश नहीं करते हैं और खाने के बाद कुल्ला नहीं करते हैं, जिसके कारण बच्चों के दांत और मसूड़े में बीमारी लग जाती है. धीरे धीरे ये बीमारियां इतना गंभीर रुप ले लेती हैं जिसके कारण कई बार बच्चों के दांतों को निकलना पड़ता है.
फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट, चिप्स के साथ-साथ आइटमों का सेवन करना बच्चों की दातों के लिए हानिकारक होता जा रहा है. इन सभी बाहरी चीजों का सेवन करने के साथ साथ ठीक ढंग से ब्रश और कुल्ला नहीं करने के कारण बच्चों के दांतों में सेंसिटिविटी और मसूड़ों की बीमारी होने लगती है, समय पर ध्यान नही दिया जाए तो दांत खराब हो जाते है ।
वहीं कुछ बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत के कारण बच्चों कई बच्चों के दांत टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं, जिसके बाद दांत को सही करने के लिए मोटा खर्च उठाना पड़ता है.
आज कल बच्चों में भी सेंसिटिविटी की समस्या आम होती जा रही है. कई बार बच्चें ठीक से ब्रश नहीं करते हैं, इससे बच्चों के दांतों में सेंसिटिविटी हो जाती है. और फिर ठंडा या गर्म पानी से बच्चों के दांतों में झंनझनाहट और दर्द होने लगता है, इस तरह की स्थिति में बच्चों को तुरंत डेंटिस्ट से दिखाएं, ताकि इससे बच्चों के परमानेंट आने वाले दांत प्रभावित न हो .
मसूड़ों की बीमारी: जो छोटे बच्चे नियमित रूप से दिन में दो बार ब्रश नहीं करते हैं. और खाना खाने के बाद खुला नहीं करते हैं, ऐसे बच्चों के मसूड़े में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं. मसूड़ों में लाइनिंग में प्लाक बनने लगती है, प्लाक के बैक्टीरिया के कारण मसूड़ों में सूजन आने लगती है. कई बार इस समस्या का शुरुआत में पता नहीं चलता है लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है. इससे बचने के लिए बच्चों में सही से ब्रशिंग की आदत डालिए और जरूरत पड़ने पर डेंटिस्ट की सलाह लीजिए.
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