Paralympic Athletes India: पेरिस पैरालंपिक में भारत (India at Paralympics 2024) की बेटियों ने एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि ‘परों नहीं, हौसलों से उड़ान होती है.’ |
पेरिस पैरालंपिक में भारत (India at Paralympics 2024) की बेटियाँ जिस तरह से जलवा बिखेर रही है, वह वाकई काबिले तारीफ है | पैरालंपिक (paralympics paris 2024) पहुँची इन महिला खिलाड़ियों में कोई बिना हाथ के तीरंदाजी में भारत का नाम रोशन कर रहा है, तो कोई बिना पैरों के ही लंबी छलांग लगाकर | इन खिलाड़ियों का जज्बा और हौसला देखकर ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि परों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है |
Mona Agarwal at Paralympics 2024
सबसे पहले बात करते है मोना अग्रवाल की | मोना अग्रवाल राजस्थान के सीकर (mona agarwal birth place) की रहने वाली हैं | मोना अग्रवाल ने अपने पहले पैरालंपिक में ही मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया है | उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट (SH1) इवेंट में कांस्य पदक (mona agarwal wins bronze) जीता |
37 साल की उम्र (mona agarwal age) में वह पैरालंपिक पहुँची हैं | वह दो बच्चों की माँ भी हैं | मोना जब महज नौ महीने की थी, तो वह पोलियो की शिकार हो गईं थी | उनके दोनों पैरों में पोलियो (mona agarwal disability) हो गया, लेकिन पोलियो भी उनकी उड़ान नहीं रोक पाया | 23 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था और खेलों से जुड़ गईं | अब वह पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल जीत रही हैं |
Avani Lekhara at Paralympics
अवनी लेखरा (Avani Lekhara) उन तमाम लोगों ने लिए एक मिसाल हैं, जो या तो व्हीलचेयर पर हैं या किसी कारणवश जिंदगी से निराश हो चुके है | अवनी लेखरा छोटी उम्र से ही व्हीलचेयर के सहारे जिंदगी काट रही हैं, लेकिन उन्होंने व्हीलचेयर से पेरिस पैरालंपिक तक का सफर तय किया है | महज 11 साल की उम्र में अवनी लेखरा एक रोड एक्सीडेंट में घायल हो गईं |
इस एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी में काफी चोटें आईं थी | जिसके बाद वह पैरालिसिस का शिकार हो गईं, लेकिन अवनी इस दर्द से कही आगे निकलीं और भारत की स्टार पैरा-शूटर बनकर उभरी | उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास कायम कर दिया है | वह पैरालंपिक में लगातार दो गोल्ड मेडल (avani lekhara achievements) जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी हैं |
Preethi Pal at Paralympics 2024
प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में भारत की झोली में ट्रैक और फील्ड में पहला पदक (preethi pal wins bronze) जीता है | प्रीति पाल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (preethi pal birth place) की रहने वाली हैं | किसान परिवार में जन्मीं प्रीति को जन्म के साथ ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी | जन्म के महज छह दिन बाद ही उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर बाँधना पड़ा |
कमजोर और असामान्य पैर के कारण (preethi pal disability) उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा | उन्हें पाँच साल की उम्र में कैलिपर पहनना पड़ा, जिसका आठ सालों तक उपयोग किया गया | इस दौरान उन्हें कई बार आर्थिक संकटों से भी जूझना पड़ा, लेकिन प्रीति ने इसके आगे कभी घुटने नहीं टेके |
Sheetal Devi at Paralympics
भारत की तीरंदाज शीतल के हाथ नहीं है वह पैरों से ही तीरंदाजी करती हैं | जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ (sheetal devi birth place) की रहने वाली शीतल के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है | शीतल देवी बिना हाथों के प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया की पहली (World’s No 1 Para Archer) और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज हैं | इस पैरालंपिक में उन्होंने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है | एशियाई पैरा गेम्स 2023 में भी उन्होंने दो गोल्ड मेडल (sheetal devi medals) समेत तीन मेडल जीते थे |