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Indian Idol: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती,2 साल की उम्र और गुरुद्वारे में सत्संग, इंडियन आइडल विजेता ऋषि की अनकही कहानी

भगवान राम के आशीर्वाद से ऋषि अब किसी पहचान के मोहताज नहीं है. इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ऋषि ने अयोध्या से पूरी की उसके बाद उन्होंने हिमगिरि विश्वविद्यालय देहरादून गए

 News Jungal desk : जा पर कृपा राम की होई ता पर कृपा करे सब कोई”. राम नगरी का एक ऐसा लाल जिसने ईश्वर की आराधना में अपनी सुर को बाधा. तो राम नगरी के लाल को ईश्वर ने आज सफलता के उस मुकाम पर बैठाया है । जहां से हर कोई उसके हुनर की तारीफ कर रहा है । हम बात कर रहे हैं इंडियन आईडल 13 के विजेता ऋषि सिंह की ।

कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है । यह बात अयोध्या के ऋषि ने सिद्ध कर दिखाया है । गुरुद्वारे से शुरू हुआ संगीत का संघर्ष आज उन्हें इंडियन आईडल 13 के विजेता तक पहुंचा दिया है । इतना ही नहीं ऋषि का सफर जितना संघर्षपूर्ण है, उतनी ही प्रेरणादायक भी है । आज उनकी राह पर चलने के लिए लंबी-लंबी कतारें बननी शुरू हो गई है । और अयोध्या में शिक्षा दीक्षा ग्रहण की लेकिन उच्च शिक्षा के साथ-साथ संगीत के प्रति भी ऋषि का रुझान कम नहीं रहा है । परिस्थितियां बदलती गई दिन बदलते गए और रास्ते बनते गए ।

समय-समय पर अयोध्या के मंदिरों में भगवान के सामने अपने मुख से भजन प्रस्तुत करने वाले ऋषि सिंह आज पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। और अयोध्या जैसे छोटे शहर में शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की और संगीत की शिक्षा से कोसों दूर अपने धुन में संगीत की तरफ कदम बढ़ाते गए है । ईश्वर ने भी को खूब साथ दिया मां सरस्वती का गले पर प्रवास हुआ और और अपने मां-बाप सहित अयोध्या वासियों का मान ऋषि ने ऊपर कर दिया है ।

आज ऋषि के सफलता की गुणगान पूरे भारत में गाए जा रहे हैं । लेकिन अयोध्यावासी भी उनके पिता से कम प्रसन्न नहीं हैं । अपने लाल को देखने के लिए अयोध्या वासियों के मन में भी उत्साह है । ऋषि का संघर्ष यहीं नहीं खत्म हुआ एक नन्हें बालक को एक पिता और मां ने बचपन में ही गोद लिया और अपना वात्सल्य उस बच्चे पर लुटाया है । लेकिन बच्चे ने भी अपने अपने माता-पिता के कर्ज को उनका नाम रोशन करके उतार दिया है । पिता प्रफुल्लित हैं और भरे गले से कहते हैं बच्चा जो भी आपका करना चाहे उसको उसकी रूचि के अनुसार करने देना चाहिए । बताते चलें ऋषि के पिता को ऋषि की गायकी पसंद नहीं आती थी । वह चाहते थे उनका बेटा पढ़ लिख कर एक अफसर बने ।

भगवान राम के आशीर्वाद से ऋषि अब किसी पहचान के मोहताज नहीं है । इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ऋषि ने अयोध्या से पूरी की उसके बाद उन्होंने हिमगिरि विश्वविद्यालय देहरादून गए थे । जहां पर एविएशन मैनेजमेंट कोर्स करने का फैसला किया है । पिता चाहते थे बेटा पढ़ाई करके अच्छी नौकरी करें ।

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