ISRO चंद्रयान-3 का लॉन्च आज दोपहर श्रीहरिकोटा से करेगा,इसरो तीसरे चंद्र मिशन के लिए तैयार

इसरो आज दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करने जा रहा है. इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने मीडिया से कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो हम 23 अगस्त के आसपास या उसके बाद के दिनों में चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद कर रहे हैं

News jungal desk : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) की तय योजना के मुताबिक चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का लॉन्च आज दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से होगा और इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ और इसके बड़े अधिकारी बुधवार से ही चंद्रयान की लॉन्चिंग की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं । और उन्होंने अंतरिक्ष केंद्र के पास चंगलम्मन देवी मंदिर में लॉन्च से पहले प्रार्थना करी इस हाई-प्रोफाइल चंद्रयान लॉन्च मिशन की उलटी गिनती गुरुवार को दोपहर 1 बजे शुरू हुई है । गुरुवार दोपहर को सोमनाथ और अंतरिक्ष केंद्र के अधिकारियों ने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया और प्रार्थना की. चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग इसरो के मजबूत और बड़े रॉकेट LVM3 के जरिये होगी ।

इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने मीडिया से कहा कि ‘चंद्रयान-3 अपनी लंबी यात्रा शुक्रवार को शुरू करेगा और पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, इसके बाद यह 30 दिनों में धीरे-धीरे अगले चरण में चंद्रमा की यात्रा करेगा । और यदि सब कुछ ठीक रहा, तो हम 23 अगस्त के आसपास या उसके बाद के दिनों में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद कर रहे हैं । और ’ चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पहला भारतीय चंद्र मिशन छह महीने से अधिक समय तक चला था और चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी पाई थी । जबकि चंद्रयान-2 मिशन में पानी तरल अवस्था में पाया गया था और चंद्रमा पर इसकी पुष्टि भी करी है ।

इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि पिछला प्रत्येक मिशन अपने तरीके से सफल रहा है । उन्होंने कहा कि ‘मुझे चंगलम्मा देवी (मंदिर की प्रमुख देवी) के आशीर्वाद की जरूरत है । इसलिए मैं चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना करने के लिए यहां आया हूं.’ इससे पहले दिन में इसरो मुख्यालय के अधिकारियों की एक टीम ने तिरुमाला में प्रतिष्ठित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की थी । जिसे आमतौर पर तिरूपति मंदिर के रूप में जाना जाता है । महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम देते समय अंतरिक्ष एजेंसियां और उनकी टीमें एक परंपरा का पालन करती हैं, जो उनकी संबंधित संस्कृतियों से प्रेरित होती है ।

एस. सोमनाथ की अध्यक्षता में इसरो का मकसद उन विशिष्ट देशों की सूची में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है । और शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ की कड़ी का अगला मिशन है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है. वर्ष 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान श्रृंखला के बारे में एक अनोखी समानता उसका तमिलनाडु से संबंध है. तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम. वनिता के क्रमश: चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी. वीरमुथुवेल तीसरे मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं ।

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