कुछ महीने पहले ही आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 पर एक सबवे टनल का निर्माण कर मेट्रो स्टेशन को टर्मिनल से सीधा जोड़ दिया गया था. अब टर्मिनल 2 को भी मेट्रो लाइन से जोड़ने की योजना भी दिल्ली मेट्रो ने बनाई है ।
News Jungal Desk : इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 को मेट्रो लाइन से जोड़ने के लिए एक सब-वे टनल बनाई जाएगी. इस टनल के बनने से टर्मिनल-2 से यात्री सीधे मेट्रो स्टेशनल जा सकेंगे । अभी तक आईजीआई का टर्मिनल-1 और 3 ही मेट्रो लाइन से सीधे जुड़े हुए हैं । और सब-वे टनल के बनने से टर्मिनल-2 के यात्रियों को एक्सप्रेस लाइन आने के लिए टर्मिनल तीन का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा । और उन्हें कम पैदल चलना होगा और उनका करीब आधा घंटा बच जाएगा । टनल बनाने पर करीब 26 करोड़ रुपये खर्च होंगे और दिल्ली मेट्रो जल्द ही इसके लिए टेंडर जारी करेगी ।
आईजीआई का टर्मिनल-3 दिल्ली मेट्रो की एक्सप्रेस लाइन से तो टर्मिनल-1 मैजेंटा लाइन से जुड़ा हुआ है । और जिन यात्रियों को टर्मिनल-2 जाना होता है, उन्हें अभी एक्सप्रेस लाइन से टर्मिनल 3 पर उतरना पड़ता है । यात्री को टर्मिनल दो पर जाने के लिए टर्मिनल तीन के मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलना पड़ता है । और टर्मिनल 3 से टर्मिनल 2 डेढ़ किलोमीटर दूर है । और सब-वे टनल बनने के बाद टर्मिनल तीन के मेट्रो स्टेशन व टर्मिनल दो के बीच की दूरी घटकर आधी बचेगी ।
यात्रियों का बचेगा समय
सब-वे टनल बन जाने से यात्री टर्मिनल-2 पर विमान से उतरने के बाद सीधे मेट्रो स्टेशन की ओर जा सकेंगे। इसी तरह मेट्रो का इस्तेमाल कर वे अपनी फ्लाइट भी पकड़ सकेंगे । अभी टर्मिनल दो जाने के लिए बहुत से यात्री एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का इस्तेमाल नहीं करते है क्योंकि उन्हें ज्यादा पैदल चलना पड़ता है । लेकिन जब यह दूरी घटकर आधी हो जाएगी, तो यात्री मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे । और उम्मीद है कि रोजाना पांच हजार यात्री इस सब-वे से गुजरेंगे ।
टनल बनाने में होगा नई तकनीक का इस्तेमाल
इस सब-वे टनल बनाने में बॉक्स पुशिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा । इस तकनीक में टनल बनाने में कम जगह का इस्तेमाल तो होता है कि साथ ही इसमें कामगरों की भी कम जरूरत पड़ती है । और साथ ही बॉक्स पुशिंग तकनीक से टनल बनाने में समय भी कम लगता है ।
.इस टनल का निर्माण 21 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है । दिल्ली मेट्रो का कहना है कि टेंडर जारी होने के बाद जिस कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी दी जाएगी । और उसे कार्य शुरू होने के 21 महीने के भीतर हर हाल में काम पूरा करना होगा ।
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