

महेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार)
कानपुर। लगभग दिवालिया हो चुकी जेपी ग्रुप की कम्पनी जेपी एसोसिएट्स की सहायक कम्पनी की केएफसीएल यानी कानपुर की फ़र्टिलाइज़र कम्पनी बन्द हो गयी है। करीब 500 स्थायी कर्मियों को छोड़ दें तो बाकियों का हिसाब करना शुरू हो चुका है। विभिन्न जनपदों में इसके मार्केटिंग दफ्तर बन्द कर दिए गए हैं। प्रबंधन के कहने पर गेल ने गैस आपूर्ति और केस्को ने बिजली काट दी है। जरूरत भर की बिजली सप्लाई जारी है। इस कारखाने में चांद छाप यूरिया खाद का उत्पादन होता था। करीब 2013 में डंकन ग्रुप की कम्पनी का अधिग्रहण जेपी ग्रुप ने किया था। ताला बन्दी को फिलहाल अघोषित बताया जा रहा है। इसका नोटिस चस्पा किया जाएगा। स्थायी कर्मियों को ले-ऑफ देने का नोटिस भी चस्पा होगा।
दो दिनों के भीतर लगभग 11 सौ संविदा, टेक्निकल कर्मियों को काम पर न आने को कहा गया है। संविदा कर्मियों को भुगतान के लिए ठेकेदारों से बिल मांगे गए हैं। कंपनी सूत्र बताते हैं कि केस्को को भी बिजली काटने को लिखा गया है। गेस आपूर्ति रोकने के लिए गेल को पहले ही लिखा जा चुका है। प्रबंधन ने कारखाना न चला पाने में असमर्थता दिखाते हुए प्रमुख कारणों को साझा किया है।
केएफसीएल की सांसे उखड़ने का सिलसिला 18 दिसम्बर 2024 से तब शुरू हो गया था जब गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्लांट को सप्लाई की जाने वाली गैस का कनेक्शन काट दिया था। दिसम्बर 2024 और जनवरी 2025 में गेल को 538 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इसके बाद भी गेल ने केएफसीएल से पहले की सहमत शर्तों में एकतरफा संशोधन कराकर 125 करोड़ रुपया और जमा करा लिया। इस दौरान 1.10 लाख टन यूरिया का उत्पादन नहीं हो पाया।

केएफसीएल को बीते साल 110 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ था। 12 मार्च 2025 को केस्को ने कनेक्शन काटने के लिए अपने अधिकारियों को भेजा। जिसके कारण उत्पादन अचानक कम करना पड़ा। चेयरमैन और राज्य सरकार के अधिकारियों के दखल से कनेक्शन काटने से रोका गया। केस्को ने 26 मार्च बिजली काटने का नोटिस देते हुए अधिकारियों की टीम भेजी। इससे भी उत्पादन प्रभावित हुआ। एक माह में दो बार तब ऐसा हुआ जब मार्च माह में 115 करोड़ रुपया केस्को में जमा कराया गया। यह राशि बीते दस सालों में केस्को को भुगतान वाली सबसे बड़ी राशि थी।
पता चला है कि केंद्र ने सब्सिडी भुगतान हेतु तय एनर्जी मानक 31 मार्च तक ही तय था इसका नवीनीकरण अब तक नहीं किया गया। मौखिक तौर पर बताया गया कि सब्सिडी के लिए एनर्जी मानक और कम किए जाएंगे। नतीजतन प्रतिटन यूरिया उत्पादन में केएफसीएल को भारी नुकसान होगा। 2013 से सब्सिडी में वृद्धि नहीं हुई। ऐसी स्थिति में केएफसीएल को वर्किंग कैपिटल से गेल और केस्को के लिए ही 200 करोड़ रुपया निकालना पड़ा। बीते दस सालों से केएफसीएल के फिक्स्ड कॉस्ट रु.3326 प्रतिटन यूरिया से ज्यादा नहीं बढ़ाया गया।
एक अप्रैल 2025 पर्याप्त सब्सिडी के एनर्जी मानक के आदेश की अनुपस्थिति में प्रबंधन को केएफसीएल को बंदी की कगार लाने को मजबूर होना पड़ा। प्रबंधन ने कर्मियों को बकाया भुगतान को नैतिक जिम्मेदारी मानी। आडानी खरीद सकते हैं फर्टिलाइजर |
कानपुर। एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड की फर्टिलाइजर इकाइयों पर अडानी समूह की रुचि है। अडानी समूह ने 2.4 से 2.6 बिलियन डॉलर की बोली लगाने की योजना बनाई है। जेपी एसोसिएट्स 55,493.43 करोड़ के कर्ज में डूबी है। खरीदने में अडानी ग्रुप के साथ ही अनिल अग्रवाल (वेदांता), जिंदल ग्रुप भी इसमे रुचि रखते हैं। कानपुर की केएफसीएल जेपी एसोसिएट्स की सहायक कम्पनी की कंपनी है।