आर्टिस्ट कृष्ण ने कूची से उकेरे शिवतत्त्व के भाव

गुरुकुल आर्ट गैलरी में दो दिवसीय प्रदर्शनी शुरू
कानपुर। मंगल और कल्याणकारी भाव ह्रदय में रखकर कैनवास पर उकेरी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी सही अर्थों में जीवन दर्शन एवं सन्देश की वाहक हैं। शिवतत्व के थीम की पूरी झलक आर्टिस्ट कृष्ण गुप्ता की मिलती है। आजादनगर स्थित गुरुकुल आर्ट गैलरी में आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि लघु फिल्मकार डॉ देवेंद्र ने किया। इस अवसर पर आए दर्शकों ने आर्टिस्ट कृष्णा गुप्ता की कला की भूरि-भूरि सराहना की।


शिवतत्व की व्याख्या करते हुए कहा गया कि प्रकृति में जो कुछ भी है, आकाश, पाताल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, सबमें संतुलन बनाए रखने का नाम ही शिवत्व है। यह मधुबनी चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मधुबनी चित्रकला बिहार की यह एक विख्यात चित्रकला शैली है। मधुबनी चित्रकला मिथिला की एक फोक पेंटिंग है। इस चित्रकला में मिथिलांचल की संस्कृति को दिखाया जाता है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है।


मधुबनी चित्रकला ज्यादातर प्राचीन महाकाव्यों से प्राकृतिक दृश्यों और देवताओं के साथ पुरुषों और उसके सहयोग को दर्शाती हैं।
यह भी बताया गया कि
मधुबनी चित्रकला दीवार, कैनवास एवं हस्त निर्मित कागज पर वर्तमान समय में चित्रकारों द्वारा बनायी जाती हैं। यह चित्रकला अपने आप में अनोखी और अद्भुत प्रतीत होती है। मधुबनी चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। अपने अनूठे रंग रूप की वजह से देश-दुनिया में इस चित्रकला ने काफी शोहरत बटोरी है। मधुबनी चित्रकला की विशेषता उसकी सादगी और सजीवता है।


आर्टिस्ट कृष्णा गुप्ता कहते हैं कि उनकी कला उनके आत्म साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास की दिशा की ओर इंगित करती है। शक्तितत्व के अंतर्भाव को ही पेंटिग के मशयम शिवतत्व बताया गया है। शिवतत्व के सार को समझाने का भी प्रयास है।
आयोजक नेहा मिश्रा, आरएस पांडे और प्रो अभय द्विवेदी ने बताया कि प्रदर्शनी 14 जुलाई रविवार तक अपरान्ह 4 बजे से खुली रहेगी।

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