कन्या पूजन 2024: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

महा अष्टमी और नवमी तिथि के दिन मां दुर्गा की विदाई कन्या पूजन के साथ की जाती है। इस साल नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर काफी असमंजस है।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सुख, समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती हैं। माना जाता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि का पूर्ण फल नहीं मिलता। इस पूजा से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और सभी की तरक्की होती है।

2 से 10 वर्ष की कन्याओं की पूजा से व्यक्ति को विभिन्न फलों की प्राप्ति होती है। कुमारी की पूजा आयु और बल में वृद्धि करती है, त्रिमूर्ति की पूजा धन और वंशवृद्धि देती है, कल्याणी से राजसुख मिलता है, जबकि कालिका से सभी संकटों का नाश होता है। चंडिका की पूजा ऐश्वर्य देती है और शांभवी की पूजा से विवाद समाप्त होते हैं।

अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि 10 अक्तूबर को शुरू होकर 11 अक्तूबर को दोपहर 12:07 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि 11 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 07:47 से 10:41 बजे तक है। इसके अलावा, दोपहर 12:08 से 01:35 बजे तक भी पूजा की जा सकती है।

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नवमी तिथि पर कन्या पूजन का मुहूर्त

नवमी तिथि 11 अक्तूबर को 12:07 बजे शुरू होकर 12 अक्तूबर को सुबह 10:59 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, नवमी तिथि 11 अक्तूबर को मानी जाएगी। इस दिन भी कन्या पूजन किया जा सकता है।

कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं को पूजने का विधान है। उन्हें देवी के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। पूजा के लिए पहले कन्याओं को आदरपूर्वक बैठाया जाता है, उनके चरण धोकर चंदन, कुमकुम और पुष्प से पूजा की जाती है। फिर उन्हें पूरी, हलवा, चना आदि भोजन कराया जाता है। अंत में कन्याओं को वस्त्र, आभूषण या धन देकर विदा किया जाता है।

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