नोएडा के डॉ. सिद्धार्थ को पीटने के बाद से सुर्खियों में आए बाबा को लेकर आसपास के लोगों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि आश्रम के पास ही रहने वाले गेस्ट हाउस संचालक नरेंद्र ने बाबा से 15 बीघे जमीन का सौदा किया था। बाबा ने गेस्ट हाउस संचालक की 13 बीघे जमीन पर कब्जा कर लिया।
करौली सरकार डॉ. संतोष भदौरिया की ऊंची पहुंच के चलते उसके सामने कोई भी सिर उठाने की हिम्मत नहीं कर सका। पूर्व में जिसने भी यह गुस्ताखी की उसे या तो मुकदमों से लाद दिया गया या फिर उसे अपनी जिंदगी से ही हाथ धोना पड़ा। नोएडा के डॉ. सिद्धार्थ को पीटने के बाद से सुर्खियों में आए बाबा को लेकर आसपास के लोगों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि आश्रम के पास रहने वाले एक गेस्ट हाउस संचालक नरेंद्र ने बाबा से 15 बीघे जमीन का सौदा किया था। बाबा ने उसकी 13 बीघे की जमीन पर कब्जा कर लिया। नरेंद्र ने जब दो बीघे जमीन के 1.56 लाख रुपये वापस मांगे तो दोनों के बीच विवाद हो गया। इसके बाद इसी साल 30 जनवरी को एक महिला ने गेस्ट हाउस संचालक के खिलाफ बिधनू थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया।
पुलिस ने जांच के बाद उसके खिलाफ एससी, एसटी एक्ट की धारा भी बढ़ा दी और जेल में डाल दिया। इसके बाद चकेरी थाने में उसके खिलाफ रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया गया। इसके बाद दुष्कर्म पीड़िता ने गेस्ट हाउस संचालक के खिलाफ बाबूपुरवा थाने में भी एक मुकदमा धमकी की धारा में दर्ज करवा दिया।
वहीं, वर्ष 2000 में बाबा के करीबी रहे घुरवाखेड़ा निवासी ओमप्रकाश ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था लेकिन, वह बाद में चुनाव हार गया। ग्रामीणों के अनुसार इसी के बाद से ओमप्रकाश का करौली सरकार से भी विवाद हो गया था। बाद में वर्ष 2003 में चकेरी रेलवे ट्रैक पर संदिग्ध हालात में उनका शव पड़ा मिला था। उनकी मौत कैसे हुई थी यह आज तक एक रहस्य है, लेकिन उस समय भी बाबा और ओमप्रकाश के बीच बढ़ी तकरार को लेकर कई तरह की चर्चाएं रही थीं।
Read also: दिल्ली से जयपुर नहीं अजमेर तक चलेगी वंदे भारत,जानें शेड्यूल और किराया